भारत में कई डायबिटीज के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत में हार्ट और डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। फिलहाल डायबिटीज को वयस्क से लेकर बूढ़े लोगों को बहुत अधिक जानकारी नहीं है। जागरूकता की कमी होने से उपचार और नियंत्रण काफी कम है। ICMR-CDC इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स बेंगलुरू के शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी।
14 मार्च को शोध पत्र में जारी किया -
14 मार्च को अंतरराष्ट्रीय जर्नल, फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में एक शोध पत्र में यह जानकारी साझा की। डायबिटीज केयर कैस्केड इन इंडिया शीर्षक नाम के इस शोध पत्र में देश में मधुमेह के प्रति लोगों की जागरूकता के संबंध में जानकारी दी गई।
लोगों की पहचान और निगरानी जरूरी
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के समर्थन से ICMR-NCDIR के नेतृत्व में राष्ट्रीय एनसीडी निगरानी सर्वेक्षण ने राष्ट्रीय एनसीडी निगरानी सर्वेक्षण ने मधुमेह से ग्रसित मरीजों की देखभाल करने के आदेश दिए। मधुमेह से वंचित लोगों की निगरानी और जांच करने की मांग की है। साल 2025 तक मधुमेह से पीड़ित मरीजों की संख्या को रोकने के लिए यह एक बेहतर और बड़ा प्रयास होगा।
महिलाओं और शहरी वयस्कों में अधिक खतरा
डायबिटीज बढ़ने का मुख्य कारण अनुवांशिक भी होता है लेकिन एक गलत लाइफस्टाइल भी इसका बड़ा कारण है। सर्वे में सामने आया कि मधुमेह महिलाओं और वयस्कों में अधिक पाया जा रहा है। वृद्ध अवस्था मोटापा, ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल को मधुमेह का प्रमुख कारण माना जा रहा है। सर्वे में सामने आया कि भारत में 9.3 फीसदी वयस्क मधुमेह से पीडि़त पाए गए। इनमें से 45.8 फीसदी मधुमेह की कंडीशन से परिचित थे, 15.7 फीसदी ने अपने नियंत्रण कर रखा था और 36.1 फीसदी उपचाराधीन थे।
ग्रामीण लोगों की स्थिति चिंताजनक -
सर्वे में पाया गया कि मधुमेह का ग्रामीणों में मात्र 6.9 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 14.3 फीसदी प्रसार था। ICMR-NCDIR के निदेशक और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. प्रशांत माथुर के मुताबिक शहरी वयस्कों की तुलना में ग्रामीण वयस्कों में जागरूकता और उपचार के बारे में जानकारी चिंताजनक है।
वयस्कों को भी मधुमेह
वयस्कों में कोलेस्ट्रॉल वाले 44.2 फीसदी और हाई बीपी वाले 1.3 फीसदी वयस्कों को भी मधुमेह था।