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इनफर्टिलिटी का निवारण : इनफर्टिलिटी एक जीवनशैली की समस्या

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इनफर्टिलिटी एक व्यक्ति की गर्भावस्था में योगदान करने की शारीरिक अक्षमता को दर्शाता है। यदि महिला की आयु 34 वर्ष से कम है और दंपति द्वारा 12 महीने तक गर्भनिरोधक मुक्त फिजिकल रिलेशन बनाने के बाद भी यदि महिला गर्भवती नहीं हो रही है या फिर महिला की आयु 35 वर्ष से अधिक है, मगर इसके बावजूद 6 महीने तक बिना गर्भनिरोधक के फिजिकल रिलेशन बनाने के बाद भी गर्भवती नहीं हो रही हो (उम्र के कारण अंडे की गुणवत्ता में कमी आती है, बढ़ती उम्र विसंगति का कारण बनते हैं) तब चिकित्सकीय जांच जरूरी है। बता रहे हैं गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. ऋषिकेश पाई।

इनफर्टिलिटी एक महिला की ऐसी स्थिति है, जो गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने में असमर्थ है। आमतौर पर दुनियाभर में यह अनुमान लगाया जाता है कि 7 में से 1 जोड़े को गर्भधारण करने में समस्या होती है। दुनियाभर के स्वतंत्र अधिकांश देशों में भी यह समस्या है। 

इनफर्टिलिटी की वैश्विक घटना लगभग 13-18% है। भारत में इनफर्टिलिटी के मामले 10 से 20% के बीच हैं। भारत में हालांकि जनसंख्या वृद्धि एक बड़ी चिंता का कारण है, मगर इनफर्टिलिटी जोड़ों की तादाद भी बढ़ती जा रही है जिसके कारण इनफर्टिलिटी, प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय समस्या माना जाता है।

इनफर्टिलिटी की स्थिति के लिए आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं दोनों का समान योगदान होता है। इनफर्टिलिटी के कई जैविक कारण हैं। उनमें से कुछ को चिकित्सकीय हस्तक्षेप से ठीक किया जा सकता है। इनफर्टिलिटी के अधिकांश मामले आनुवांशिक होते हैं जिसे रोका नहीं जा सकता है।

लेकिन यह संभव है कि हम अपनी रोजाना की जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इनफर्टिलिटी के कुछ संभावित रोगों को रोक सकते हैं। हम जिस वातावरण में रहते हैं, उसका हमारी जीवनशैली में और हमारी संभावित प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

समय के साथ इनफर्टीलिटी एक चिकित्सा समस्या से अधिक जीवनशैली की समस्या बन गई है। इनफर्टिलिटी रोकने के लिए यह जानना जरूरी है कि किसकी प्रजनन क्षमता में क्या समस्याएं हैं और उस संभावित समस्याओं से बचने के लिए उपाय करना सबसे अच्छा तरीका है।

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1. धूम्रपान और शराब पीने जैसी कुछ आदतें प्रजनन क्षमता पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती हैं।

धूम्रपान को पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कमी और शुक्राणुओं की सुस्त गति और महिलाओं में गर्भपात में वृद्धि से जोड़ा गया है। शराब प्राकृतिक रूप से और चिकित्सकीय उपचार के माध्यम से गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। शराब शुक्राणु के लिए विषाक्त है। यह शुक्राणुओं की संख्या को कम करती है और फिजिकल संबंध बनाने के कार्य में बाधा डाल सकती है, हार्मोन संतुलन को बाधित करके गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकती है।

2. कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर युक्त संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। पशुओं के मांस की जगह प्रोटीन युक्त सब्जियों को आहार में शामिल करना चाहिए, जो फाइबर और आयरन से भरपूर होती हैं। कार्बोहाइड्रेट से कम ट्रांस फैट और शुगर युक्त पदार्थ, अधिक हाईफेंट डेयरी प्रोडक्ट्स और कम चर्बीयुक्त डेयरी प्रोडक्ट्स के साथ मल्टीविटामिन लेने से महिलाओं में इनफर्टिलिटी का खतरा कम हो जाता है। संतुलित आहार से विटामिन सी, फॉलेट, सेलेनियम या जिंक की कमी के कारण इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है।

सभी महिलाओं में फोलिक एसिड के सेवन (जो हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों व अनाजों में मौजूद होता है और पूरक रूप में भी उपलब्ध होता है) को गर्भावस्था के 3 महीनों के दौरान और स्पाइना बिफिडा नामक न्यूरल ट्यूब विकारों के जोखिम को कम करने के लिए बढ़ाया जाना चाहिए।


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