- डॉ. कामिनी ए. राव
भारतीय महिलाएं सेहत के प्रति लापरवाह होती हैं यह बात हम सब जानते हैं, दूसरे परिवार में भी उनकी सेहत सबसे निम्न क्रम में आती है। आमतौर पर हर महिला मासिक धर्म के दौरान बहुत सारा रक्त गवां बैठती हैं। दूषित रक्त के साथ बहुत सारे जरूरी खनिज एवं धातुएं भी निकल जाती हैं। यदि उसकी पूर्ति न हो तो महिलाएं गंभीर समस्या से ग्रस्त हो जाती हैं।
प्रकृति ने महिलाओं को इस तरह बनाया है कि वे प्रायः खून की कमी से जूझती हैं, खासकर वे महिलाएं, जो मां बनने के दौर में हैं। इस रक्तक्षीणता के पीछे एक बड़ा कारण है- माहवारी। इससे महिलाओं की काम करने की क्षमता घट जाती है और वे जल्द थक जाती हैं।रक्तक्षीणता रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है। इस कारण वे रोगों से भी शीघ्र संक्रमित हो जाती हैं। मासिक धर्म की वजह से स्त्रियां लगभग एक लीटर रक्त खो बैठती हैं, जो एक साल में तीन बार रक्तदान के बराबर है।
एक महिला के जीवन में मासिक धर्म अतिमहत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्त्री को जननी बनने के लिए तैयार करता है। इस दौरान नारी में बड़े नाजुक परिवर्तन होते हैं, जिस कारण उसके शरीर में कमजोरी आ जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण है। एक जननी का स्वस्थ होना जरूरी है, क्योंकि उस पर एक नए जीवन को धरती पर लाने का जिम्मा है। ऐसे में यदि माहवारी के कारण शरीर से रक्त निकल जाए तो जाहिर है स्वास्थ्य की हानि तो होगी ही।
रक्त प्रवाह हमारे शरीर की वह जीवनधारा है, जो सभी जरूरी पोषक पदार्थ लिए पूरे शरीर में चलती रहती है। अब यदि यह अमूल्य रक्त शरीर से बाहर बह जाएगा तो उसमें मौजूद पोषक पदार्थ भी बाहर चले जाएंगे। यदि कोई स्त्री पहले ही आयरन की कमी झेल रही है तो उसका एनिमिया और अधिक हो जाएगा।
एनिमिया के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेना आवश्यक है। हमारे रक्त की लाल रक्त कणिकाओं में एक प्रोटीन होता है, जिसे हिमोग्लोबीन कहते हैं। हिमोग्लोबीन ऑक्सीजन का सप्लायर है, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन उठाता है और सारे शरीर में पहुंचाता है। हिमोग्लोबीन बनाने के लिए आयरन चाहिए। यदि आपके शरीर में आयरन कम है तो हिमोग्लोबीन भी कम होगा। यही स्थिति एनिमिया कहलाती है।
मासिक धर्म के कारण होने वाली आयरन की कमी के चलते स्त्रियों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता पर फर्क पड़ता है। यदि महिला गर्भवती हो तो इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
साल भर में एक औरत अपने कुल रक्त का 22 प्रतिशत खो देती है। ऐसे में जो औरतें अपनी खुराक में खून बनाने वाले पौष्टिक तत्वों को शामिल नहीं करतीं, उन्हें एनिमिया होने का अधिक खतरा रहता है। गौरतलब है कि भारत में पहले ही 80 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं। यह जनस्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जो हर वर्ग में फैली है।
एक आम भारतीय शाकाहारी खुराक खून बनाने के लिए पर्याप्त पोषक पदार्थ नहीं दे पाती। आधे कप चावल में 0.5 मिग्रा आयरन होता है, जबकि एक कप दूध से 0.1 ग्राम आयरन मिल पाता है। एक स्त्री, जिसका मासिक धर्म चल रहा हो, को हर रोज 28 मिग्रा आयरन की जरूरत होती है। कुछ पदार्थ होते हैं, जो आयरन को शरीर में अवशोषित होने से रोकते हैं- जैसे फाइटेट, जो कि साबुत गेहूं के आटे व अन्य अनाजों में पाया जाता है या फिर कैफीन जो कॉफी, चाय, कोला में पाई जाती है। ये चीजें आयरन पर जम कर उसको शरीर में अवशोषित नहीं होने देतीं।
जिन स्त्रियों में आयरन तथा अन्य पुष्टिकारी की कमी होती है, वे एनिमिया की शिकार बनती हैं। यह रक्त की असामान्य स्थिति है, जिसमें खून में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बहुत घट जाती है।
आयरन प्राप्त करने का सबसे बढ़िया माध्यम वे खाद्य पदार्थ हैं, जिनमें न केवल खूब आयरन होता है, बल्कि जो आयरन को शरीर में अवशोषित होने में भी सहायता करते हैं। शरीर ज्यादा से ज्यादा आयरन को अवशोषित कर पाए, इसके लिए आपको ऐसी खुराक लेना होगी, जिसमेंविटामिन सी और और बी-12 पर्याप्त मात्रा में मौजूद हों। साथ में आयरनयुक्त खुराक लें। इसके लिए आपको संतुलित भोजन के अलावा ऐसे खाद्य या पेय पदार्थ लेने होंगे, जिसमें रक्त का निर्माण करने वाले सूक्ष्मरूप से पौष्टिक तत्वों के साथ हो। हों। ऐसी चीजों को आपपूरक आहार के तौर पर लें तभी आपको रक्त निर्माण करने वाली पौष्टिकता मिल पाएगी।
एनिमिया के लक्षण
* अक्सर एनिमिया के कोई लक्षण प्रकट नहीं होते।
* चेहरा पीला पड़ जाना।
* थकान महसूस होना।
* व्यायाम के वक्त असामान्य तरीके से साँस की अवधि घट जाना।
* दिल का तेजी से धड़कना।
* हाथ-पांव बेहद ठंडे हो जाना।
* नाखूनों का नाजुक हो जाना।