कोरोना की तीसरी लहर का खौफ कुछ राज्यों में तेजी से बढ़ रहा है। जिसमें प्रमुख रूप से मुंबई, तमिलनाडु, केरल, नागपुर, चैन्नई शहर है। भारत के अलावा अन्य देशों में भी कोविड की तीसरी लहर के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं अमेरिका में आज भी कोरोना से हालात बिगड़े हुए है। भारत में डॉक्टर और अन्य फ्रंट लाइन वर्कर को तीसरे डोज देने की बात की जा रही है। डेल्टा वेरिएंट से बढ़ते खतरे को देखते हुए तीसरी डोज लगाया जा रहा है। इसी बीच कोरोना वैक्सीन फाईजर को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि फाईजर टीके की खुराक लेने के 6 महीने बाद ही लोगों में 80 फीसदी कम एंटीबॉडी मिली है।
इस बात का खुलासा अमेरिका के वेस्टर्न रिजर्व यूनिसर्विटी और ब्राउन यूनिवर्सिटी द्वारा की गई स्टडी में खुलासा हुआ है। दोनों यूनिवर्सिटी द्वारा नर्सिंग होम के 120 निवासियों और 92 स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के खून के सैंपल लेकर उनका परीक्षण किया गया। शोधकर्ताओं ने इंसान के अंदर ह्रमूोरलर इम्युनिटी को चेक किया। इसे एंटीबॉडी मध्यस्थता प्रतिरक्षा भी कहा जाता है। इससे शरीर में सार्स-सीओवी-2वायरस के खिलाफ रक्षा के पैमाने
को मापा जा सकता है, जिस वजह से कोविड का खतरा होता है। लेकिन शोध में पता चला कि 6 महीने बाद व्यक्तियों में एंटीबॉडी 80 फीसदी से भी कम हो गई है।
अध्ययन में सामने आया कि 75 वर्ष के बुजुर्ग और 48 वर्ष का इंसान जो देखभाल कर रहा था उनके परिणाम एक जैसे थे। वहीं केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड कैनेडे ने कहा कि 6 महीने बाद, नर्सिंग होम के स्वास्थ्य कर्मियों में 70 फीसदी तक खून में कोरोना वायरस को बेअसर करने की क्षमता बहुत कम रही। आगे कहा कि वह CDC के बूस्टर डोज लेने का समर्थन करते हैं। मुख्य रूप से बुर्जुग लोगों को जरूर लेना चाहिए।
जानिए कोविड वैक्सीन की एफिकेसी रेट
गौरतलब है अमेरिकी वैक्सीन फाईजर की एफिकेसी रेट 95 फीसदी रही। वहीं मॉडर्ना की 94 फीसदी रही। हालांकि 6 महीने बाद ही फाईजर कोरोना वैक्सीन की एंटीबॉडी कम पाई गईं।
स्पूतनितक v की एफिकेसी रेट 92 फीसदी।
नोवावैक्स की एफिकेसी रेट 88 फीसदी।
भारत बायोटेक के कोवैक्सिन की एफिकेसी रेट 81 फीसदी।
ऑक्सफॉर्ड एस्ट्राजेनेका की एफिकेसी रेट 67 फीसदी।