कोविड-19 से तो लोग ठीक हो रहे हैं लेकिन इसका असर मानसिक और शारीरिक रूप से लोगों को कमजोर कर रहा है। जी हां, कोविड से उभर रहे लोग शॉर्ट टेम्पर होते जा रहे हैं यानी हर छोटी बात पर गुस्सा आना, चिल्लाना। लोगों में सहनशीलता की कमी दर्ज की गई है। अस्पताल पहुंच रहे मरीज खुद अहसास कर रहे हैं कि उन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आ रहा है। और छोटी बातों पर किसी पर भी गुस्सा करने लगे हैं।कोरोना वायरस की चपेट में दिए गए इंजेक्शन और दवा का असर लोगों में दिख रहा है। कोविड के बाद मानसिक बीमारी का शिकार हुए लोगों की संख्या में इजाफा होने लगा है। पोस्ट कोविड के बाद लोगों में कमजोरी और चिड़चिड़ाहट के लक्षण नज़र आ रहे हैं। साथ ही लोग बेहोशी और चीजों को लेकर असमंजस भी हो रहे हैं। वह निर्णय लेने में देर करने लगे हैं। तो कुछ लोगों में हार्ट स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा है।
क्या है इन सबकी वजह
कोविड के साथ लगातार पोस्ट कोविड लक्षणों पर भी शोध जारी है। जिसमें अभी तक उपरोक्त लक्षणों की वजह है न्यूरोलॉजिकल। जी हां, शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने पर यह स्थिति पैदा होती है। कोविड-19 की वजह से जब ऑक्सीजन शरीर के हर अंग तक नहीं पहुंचती है ऐसे में न्यूरोलॉजिकल की समस्या होने लगती है।
कैसे बचें
न्यूरोलॉजिकल की समस्या से बचा भी जा सकता है अगर इलाज सही समय पर ले लिया जाए तो। अक्सर लोग लक्षण दिखने पर भी नजर अंदाज करने लग जाते हैं। लेकिन कोरोना के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कोरोना टेस्ट कराएं, रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी लक्षण दिखते हैं फिर से डॉक्टर से संपर्क करें। और अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। इस दौरान जब तक पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते डॉक्टर के संपर्क में रहें। समय पर इलाज मिलने से इस गंभीर समस्या से भी बचा जा सकता है।
जीने का मिजाज बदल दें
न्यूरोलॉजिकल बीमारी से बचाव के लिए एलोपैथिक दवा के साथ अपने जीने का अंदाज भी बदलें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- सकारात्मक सोचें।
- कोविड के गुजरे हुए वक्त को याद नहीं करें।
- प्राणायाम करें।
- लोगों के बीच में ही रहें।
- नींद भरपूर लें।