आइए, जानते हैं क्या होता है अस्थमा, इससे बचाव के कारगर उपाय और इससे निजात पाने की आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में -
क्या होता है अस्थमा?
श्वास नलियों में सूजन से चिपचिपा बलगम इकट्ठा होने, नलियों की पेशियों के सख्त हो जाने के कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसे ही अस्थमा कहते हैं। अस्थमा किसी भी उम्र में यहां तक कि नवजात शिशुओं में भी हो सकता है।
अस्थमा के सामान्य लक्षण -
1 बार-बार होने वाली खांसी
2 सांस लेते समय सीटी की आवाज
3 छाती में जकड़न
4 दम फूलना
5 खांसी के साथ कफ न निकल पाना
6 बेचैनी होना
ऐसे करें बचाव -
1 धूल, मिट्टी, धुआं, प्रदूषण होने पर मुंह और नाक पर कपड़ा ढकें। सिगरेट के धुएं से भी बचें।
2 ताजा पेन्ट, कीटनाशक, स्प्रे, अगरबत्ती, मच्छर भगाने की कॉइल का धुआं, खुशबूदार इत्र आदि से यथासंभव बचें।
3 रंगयुक्त व फ्लेवर, एसेंस, प्रिजर्वेटिव मिले हुए खाद्य पदार्थों, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।
आइए, जानते हैं अस्थमा में प्रचलित आयुर्वेदिक औषधियां -
1 कंटकारी अवलेह
2 वासावलेह
3 सितोपलादि चूर्ण
4 कनकासव
5 अगत्स्यहरीतिकी अवलेह
ये है अस्थमा में कारगर जड़ी-बूटियां -
* वासा- यह सिकुड़ी हुई श्वसन नलियों को चौड़ा करने का काम करती है।
* कंटकारी- यह गले और फेफड़ों में जमे हुए चिपचिपे पदार्थों को साफ करने का काम करती है।
* पुष्करमूल- एंटीहिस्टामिन की तरह काम करने के साथ एंटीबैक्टीरियल गुण से भरपूर औषधि।
* यष्टिमधु- यह भी गले को साफ करने का काम करती है।
नोट : किसी भी औषधि के प्रयोग से पूर्व विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।