what foods help prevent bowel cancer in hindi: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हमारी लाइफस्टाइल जितनी स्मार्ट हो गई है, उतनी ही हमारी सेहत पर इसका असर भी दिख रहा है। प्रोसेस्ड फूड, ओवरईटिंग, कम पानी पीना और रफेज की कमी जैसी डाइट की लापरवाहियां कई गंभीर बीमारियों का कारण बन रही हैं। उन्हीं में से एक है, बॉवेल कैंसर। भारत में भी अब यह बीमारी बढ़ती जा रही है, जिसका एक प्रमुख कारण है हमारे खाने की थाली में पोषक तत्वों की कमी और फाइबर की उपेक्षा। लेकिन खुशखबरी यह है कि कुछ साधारण डाइट बदलाव अपनाकर हम इस जानलेवा बीमारी के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
बॉवेल कैंसर क्या है और क्यों चिंता की बात है?
बॉवेल कैंसर को कोलन या रेक्टल कैंसर भी कहा जाता है। यह पेट के निचले हिस्से में, विशेषकर लार्ज इंटेस्टाइन में बनने वाला एक प्रकार का कैंसर है जो धीरे-धीरे बढ़ता है और लक्षणों के नजरअंदाज होने पर गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है। ज्यादातर मामलों में शुरुआत में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, जैसे कि कब्ज, मल में खून, पेट में दर्द, वजन कम होना या थकान। लेकिन यह कैंसर समय रहते पकड़ा जाए और जीवनशैली में बदलाव किया जाए, तो इसे रोका या कंट्रोल में लाया जा सकता है।
1. फाइबर का महत्व
फाइबर एक ऐसा तत्व है जो पाचन क्रिया को सही रखता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है। Whole Grains जैसे ओट्स, ब्राउन राइस, जौ (Barley), बाजरा, रागी आदि से भरपूर डाइट आंतों की सफाई में मदद करती है। हरी पत्तेदार सब्ज़ियां और ताजे फल बॉवेल मूवमेंट को नियमित रखते हैं और कैंसर की कोशिकाओं के पनपने की संभावना को कम करते हैं।
2. प्रोसेस्ड और रेड मीट से दूरी बनाएं
कई रिसर्च यह साबित कर चुकी हैं कि प्रोसेस्ड मीट (जैसे सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग) और रेड मीट (गाय, भेड़ या बकरे का मांस) का अधिक सेवन बॉवेल कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। इन खाद्य पदार्थों में नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं, जो आंतों की दीवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हफ्ते में एक या दो बार लिमिटेड मात्रा में लेना बेहतर है।
3. प्रीबायोटिक और प्रोबायोटिक
दही, छाछ, किमची, कांबुचा जैसे प्रोबायोटिक फूड्स अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम मजबूत होता है। प्याज, लहसुन, केला और ओट्स जैसे फूड्स प्रीबायोटिक होते हैं जो इन अच्छे बैक्टीरिया के लिए पोषण का काम करते हैं। जब आंतें स्वस्थ होंगी, तो कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना काफी हद तक घट जाती है।
4. रिफाइंड शुगर और जंक फूड से ब्रेक लें
आजकल की डाइट में चीनी, सफेद ब्रेड, मैदा और डीप फ्राइड स्नैक्स ने एक फिक्स्ड जगह बना ली है। लेकिन ये सभी इंटेस्टाइन में सूजन पैदा कर सकते हैं और बॉडी में इंफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स को ट्रिगर कर सकते हैं। इससे बॉवेल कैंसर के लिए अनुकूल वातावरण बनता है। इसका विकल्प हैं — गुड़, खजूर, ड्राई फ्रूट्स और होल ग्रेन स्नैक्स।
5. हाइड्रेशन और नियमित भोजन समय
पानी सिर्फ प्यास बुझाने के लिए नहीं, बल्कि बॉडी के हर सिस्टम को संतुलित रखने के लिए जरूरी है। दिनभर में 2.5 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए ताकि टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकल सकें। साथ ही, नियमित अंतराल पर भोजन करना भी डाइजेशन को बेहतर बनाता है और गैस, अपच जैसी समस्याओं से राहत देता है।
6. एंटीऑक्सीडेंट युक्त डाइट अपनाएं
फल जैसे कि ब्लूबेरी, अंगूर, अमरूद, संतरा और टमाटर में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स बॉडी को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में सक्षम बनाते हैं। ये वही रेडिकल्स होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं की उत्पत्ति में सहायक बन सकते हैं। रोज़ाना एक रंग-बिरंगा फल या सलाद प्लेट जरूर शामिल करें।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।