कोरोना वायरस की पहचान के लिए अलग - अलग तरह के टेस्ट किए जा रहे हैं। जिसमें सबसे अधिक आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा लगातार कोरोना वायरस पर खोज जारी है। जिससे हर बार नई तरह की जानकारी सामने आती है। इसी बीच कोविड की जांच का एक और नया तरीका इजाद हुआ है। इसे सलाइन गार्गल कोविड टेस्ट कहा जाता है। इससे सैंपल लेने में काफी आसानी होगी। सरल भाषा में इसे सैंपल कलेक्शन ट्यूब कहा जा सकता है। आइए जानते हैं नए सैंपल इंस्ट्रूमेंट के बारे विस्तार से -
क्या है Saline Gargle टेस्ट? कैसे करता है काम?
वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए सलाइन गार्गल स्वैब कलेक्शन एक आसान प्रक्रिया है। इसके लिए किसी ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है। आराम से कोविड सैंपल टेस्ट ले सकते हैं।
स्वैब कलेक्शन के लिए मरीज को नमक के पानी से 15 सेकेंड गार्गल करना होता है और फिर सलाइन गार्गल को सैंपल वाले ट्यूब में ही छोड़ दिया जाता है। कलेक्ट किए गए सैंपल को लैब में ले जाया जाता है। वहां पर इसे एक रूम में करीब 30 मिनट एक स्पेशल बफर साॅल्यूशन में रखा जाता है जिसके बाद करीब 98 डिग्री के तापमान पर गर्म करते हैं और साॅल्यूशन गर्म करने पर आरएनए टेप्लेट बनता है इसके बाद आरटीपीसीआर टेस्ट प्रोसेस की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 3 घंटे का वक्त लगता है। इसके बाद आपको रिपोर्ट मिलती है।
नीरी (NEERI) ने किया तैयार नया सैंपलिंग उपकरण
इस नए टेस्ट तकनीक का निर्माण नागपुर स्थित नेशनल एनवायरमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) के वैज्ञानिकों ने CSIR के द्वारा किया है।
नीरी के सीनियर वैज्ञानिक कृष्णा खैरनार ने बताया सैंपलिंग टेस्ट के बारे में
सलाइन गार्गल टेस्ट के फायदे
- कोविड सैंपल को कलेक्ट करनी की यह नई तकनीक को सुविधा के हिसाब से काफी अच्छा बताया जा रहा है। यह इकेफ्रेंडली है, बहुत कम मात्रा में वेस्टेज निकलता है।
- हालांकि सैंपलिंग के दौरान मरीज भीड़भाड़ से बच सकता है। अपना सैंपल लेकर टेस्टिंग सेंटर पर दे सकता है। इससे समय की भी बचत होगी और आसानी भी रहेगी।