बदलते वक्त के दौर में जो बीमारी कभी 65 से 70 साल के बाद हुआ करती थी अब 40 से 50 की उम्र में भी होने लगी है। इतना ही नहीं नौजवान भी इसका शिकार होने लगे हैं। तो कई बार नौजवानों की गलत आदत की वजह से भी यह बीमारी जन्म लेने लगती है। इसका सीधा सा उदाहरण है हर चीज के लिए अलार्म सेट करना। हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी के होने के बाद इंसान संकट में आ जाता है। क्योंकि उसे कुछ याद नहीं रहता है। अक्सर लोग खाना खा कर भूल जाते हैं, चीजों को रखकर भूल जाते हैं तो इंसान का नाम और शक्ल भी भूल जाते हैं। इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। विशेषज्ञों के मुताबिक करीब 65 साल की उम्र के बाद यह बीमारी घेरने लगती है। इसका कनेक्शन दिमाग से होता है। कहते हैं जब जरूरी टिश्यूज दिमाग तक नहीं पहुंचते हैं तब इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से, लक्षण और बचने के उपाय -
अल्जाइमर के लक्षण
- याददाशत की कमी होना।
- बोलने में दिक्कत होना।
- याददाशत कमजोरी हो जाना, छोटी-बड़ी चीजें याद नहीं रहना।
- चीजों को समझने में समस्या होना।
- स्थान और समय में मेलजोल नहीं कर पाना।
- दिमाग का अस्थिर होना।
-अकारण गुस्सा या चिड़चिड़ करना, रोना आना।
-निर्णय लेने में कठिनाई आना।
- किसी पर विश्वास नहीं करना। तो किसी पर पूरा निर्भर हो जाना।
अल्जाइमर से बचाव के उपाय -
हालांकि इस बीमारी से बचाव का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिला है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कैसे -
- न्यूट्रिशनिस्ट से चर्चा कर भरपूर डाइट लें।
- लोगों से मिलते रहें, मन नहीं करने पर भी लोगों के बीच बैठे रहे।
-पर्याप्त नींद लें। नींद नहीं आने पर डॉक्टर से चर्चा करें।
- सकारात्मक सोच रखें।
- मेडिटेशन करें।
-पानी भरपूर मात्रा में पिएं।
- डाइट में साबुत अनाज, प्रोटीन को शामिल करें।
क्यों होती है अल्जाइमर की बीमारी -
अल्जाइमर का खतरा उस वक्त बढ़ जाता है जब दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने लगती है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद इंसान धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है।
अल्जाइमर बीमारी के 3 चरण
- पहले स्टेज में मरीज अपने करीबी, परिवार और दोस्तों को पहचानने लगता है। लेकिन वह महसूस करता है कि वह कुछ भूल रहा है।
- दूसरी स्टेज में भूलने की प्रक्रिया में तेजी बढ़ जाती है। और लक्षण सामने दिखने लगते हैं।
- तीसरी स्टेज उसे कुछ भी याद नहीं रहता है। वह इस स्थिति में पहुंच जाता है कि अपना दर्द भी बयां नहीं कर पाता है।
विश्व अल्जाइमर दिवस का इतिहास
विश्व अल्जाइमर दिवस को मनाने का उद्देश्य है लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है। इसकी शुरूआत 21 सितंबर 1994 को एडिनबर्ग में हुई थी। इसके बाद हर साल इस दिवस को मनाया जाता है। और लोगों को जागरूक किया जाता है।