एक शोध में मिशिगन हेल्थ सिस्टम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि चाय की हरी पत्तियों की सहायता से गठिया जैसे रोग का इलाज सम्भव है।
इस शोध में चाय-पत्ती से निकलने वाले एक पदार्थ का पता लगाया है जिसका नाम है एपिगैलोसेटचिन-3-गैलेट(ईजीसीजी)।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह तत्व शरीर में गठिया से प्रतिरक्षा की क्षमता उत्पन्न करता है। साथ ही यह इससे होने वाली क्षति की भी पूर्ति करता है।
इस पदार्थ के द्वारा गठिया से ग्रसित रोगियों में ज्वलनशीलता को कम करने में भी सहायता मिलती है। शोधकर्ता सलाह-उद्-दीन अहमद के अनुसार, हमारी शोध गठिया से ग्रसित लोगों के उपचार के क्षेत्र में काफी सहायक है।
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने गठिया से ग्रसित लोगों के शरीर में सिनोवियल नामक कोशिका को खोजा, जिन्हें चाय-पत्तियों द्वारा संयोजित करके उनमें साइकोटीन IL-1ƒO नामक प्रोटीन को डाला। इस क्रिया से गठिया से ग्रसित कोशिकाओं का उपचार किया गया।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने गठिया से हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभावों का भी निरीक्षण किया। साथ ही शोधकर्ताओं ने यह भी माना कि चाय-पत्ती में घुटनों के दर्द को समाप्त करने के भी गुण छिपे हुए हैं।
अहमद का कहना है कि शरीर में पाया जाने वाला ईजीसीजी पदार्थ, चायपत्ती में पाए जाने वाले ईजीसीजी नामक तत्व से ही निर्मित होता है, जो गठिया के रोग से होने वाली क्षति की भरपाई करता है।