World Liver Day 2025: हमारा लिवर (यकृत) शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो भोजन पचाने, विषैले पदार्थों को बाहर निकालने और ऊर्जा को संग्रहित करने जैसे कई आवश्यक कार्य करता है। स्वस्थ लिवर पूरे शरीर के सुचारू कामकाज के लिए जरूरी है। दुर्भाग्य से, लिवर की बीमारियां अक्सर शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाती हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, समय-समय पर कुछ जरूरी टेस्ट करवाकर लिवर की सेहत का ध्यान रखना और संभावित खतरों को समय रहते पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण लिवर टेस्ट और उनके महत्व के बारे में जानेंगे।
लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT): यह टेस्ट खून में मौजूद विभिन्न एंजाइम और प्रोटीन के स्तर को मापता है। LFT लिवर की कार्यक्षमता का आकलन करने में मदद करता है और सूजन या क्षति जैसी समस्याओं का संकेत दे सकता है। इस टेस्ट में आमतौर पर निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:
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एएलटी (ALT) और एएसटी (AST): ये एंजाइम लिवर कोशिकाओं में पाए जाते हैं। जब लिवर क्षतिग्रस्त होता है, तो ये एंजाइम खून में अधिक मात्रा में रिसते हैं। इनके बढ़े हुए स्तर लिवर की चोट या सूजन का संकेत दे सकते हैं।
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एल्कलाइन फॉस्फेटेज (ALP): यह एंजाइम लिवर और हड्डियों में पाया जाता है। इसका उच्च स्तर पित्त नली में रुकावट या लिवर की अन्य समस्याओं का संकेत दे सकता है।
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बिलीरुबिन: यह लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनने वाला एक पीला पदार्थ है। लिवर आमतौर पर इसे शरीर से बाहर निकालता है। खून में बिलीरुबिन का उच्च स्तर पीलिया (जॉन्डिस) का कारण बन सकता है और लिवर की समस्याओं का संकेत दे सकता है।
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एल्बुमिन और कुल प्रोटीन: एल्बुमिन लिवर द्वारा बनाया गया एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है। इसका कम स्तर लिवर की पुरानी बीमारी का संकेत दे सकता है। कुल प्रोटीन खून में मौजूद सभी प्रकार के प्रोटीन की मात्रा को मापता है, जो लिवर के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दे सकता है।
प्रॉथ्रोम्बिन टाइम (PT): यह टेस्ट यह मापता है कि आपके खून को जमने में कितना समय लगता है। लिवर रक्त के थक्के बनाने के लिए आवश्यक कई प्रोटीन का उत्पादन करता है। यदि लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो खून जमने में अधिक समय लग सकता है, जिसका पता PT टेस्ट से चलता है।
जीजीटी टेस्ट (GGT Test): गामा-ग्लूटामाइल ट्रांसपेप्टिडेज (GGT) एक एंजाइम है जो मुख्य रूप से लिवर में पाया जाता है। खून में GGT का उच्च स्तर लिवर की क्षति, पित्त नली में रुकावट या अत्यधिक शराब के सेवन का संकेत दे सकता है। यह टेस्ट अक्सर अन्य लिवर फंक्शन टेस्ट के साथ मिलकर लिवर की समस्याओं का निदान करने में मदद करता है।
अमोनिया टेस्ट: अमोनिया प्रोटीन के टूटने से बनने वाला एक अपशिष्ट उत्पाद है, जिसे लिवर सामान्य रूप से यूरिया में परिवर्तित करके शरीर से बाहर निकालता है। यदि लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो खून में अमोनिया का स्तर बढ़ सकता है, जो मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर सकता है (हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी)।
लिवर अल्ट्रासाउंड: यह एक इमेजिंग टेस्ट है जो ध्वनि तरंगों का उपयोग करके लिवर की तस्वीरें बनाता है। अल्ट्रासाउंड लिवर के आकार, बनावट और किसी भी असामान्य वृद्धि, जैसे कि ट्यूमर या सिस्ट, का पता लगाने में मदद कर सकता है। यह लिवर में वसा जमाव (फैटी लिवर) का भी पता लगा सकता है।
किन लोगों को करवाना चाहिए लिवर टेस्ट?
हालांकि नियमित लिवर टेस्ट सभी के लिए आवश्यक नहीं हैं, लेकिन कुछ ऐसे जोखिम कारक और स्थितियां हैं जिनमें लिवर टेस्ट करवाना महत्वपूर्ण हो जाता है:
• ये लक्षण महसूस होने पर : यदि आपको पीलिया, पेट में दर्द या सूजन, थकान, गहरे रंग का पेशाब, हल्के रंग का मल या उल्टी जैसे लक्षण महसूस हो रहे हों।
• शराब का अत्यधिक सेवन: लंबे समय तक अत्यधिक शराब का सेवन लिवर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। इस स्तिथि में लिवर टेस्ट करवाना चाहिए।
• हेपेटाइटिस: यदि आपको हेपेटाइटिस बी या सी जैसे लिवर संक्रमण हुए हैं।
• मोटापा और मधुमेह: ये स्थितियां नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के खतरे को बढ़ाती हैं।
• लिवर की बीमारी का पारिवारिक इतिहास: यदि आपके परिवार में किसी को लिवर की बीमारी रही हो।
• कुछ दवाएं: कुछ दवाएं लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं, इसलिए यदि आप ऐसी दवाएं ले रहे हैं तो नियमित निगरानी आवश्यक हो सकती है।
लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण और मेहनती अंग है। इसकी सेहत को बनाए रखना हमारे समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। नियमित जांच और इन जरूरी लिवर टेस्ट के माध्यम से हम समय रहते किसी भी संभावित खतरे को पहचान सकते हैं और उचित उपचार शुरू कर सकते हैं, जिससे एक स्वस्थ और लंबा जीवन जिया जा सके। अपने डॉक्टर से सलाह लेकर अपनी व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार लिवर टेस्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करें।