Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

परंपराओं को काटती प्रेम की धार

अमृता और इमरोज के बहाने

हमें फॉलो करें परंपराओं को काटती प्रेम की धार

jitendra

WD
कला-साहित्य वैसे तो जीवन और समाज की ही अभिव्यक्ति हैं, लेकिन कला और वास्तविक जीवन में गहरा अंतर्विरोध भी है। दुनिया का तमाम साहित्य, संगीत, चित्र और अन्य कलाएँ जिस प्रेम की आराधना और गाथाओं से भरी हुई है, वास्तविक जीवन में उसी प्रेम के लिए कोई जगह नहीं है। प्रेम एक असामाजिक अनैतिक कर्म है। वह गलत है, पाप है, समाज उसे मान्यता नहीं देता।

लेकिन प्रेम की कठिन राह पर चलने वालों में समाज की हर मान्यता और बंधन को तोड़ने का साहस है। ऐसा ही साहस आज से 40 वर्ष पहले अमृता और इमरोज ने दिखाया था, जब उन्होंने सारी झूठी नैतिकताओं को धता बताते हुए बिना विवाह के साथ-साथ रहने का निर्णय लिया। नैतिकता के ठेकेदार इस संबंध के पीछे छिपी प्रेम की गहराई और उस आत्मिक लगाव को समझ ही नहीं सकते, जहाँ सारे रिश्ते जाति-धर्म-जमीन और संपत्ति से तय होते हैं। यह संपत्ति पर टिका रिश्ता नहीं था, न ही समाज और मान्यताओं का कोई बंधन ही था, लेकिन फिर भी चालीस सालों तक इस प्रेमी जोड़े को कोई अलग नहीं कर सका।

यहाँ तक कि अमृता की मृत्यु भी उन्हें इमरोज से छीन नहीं पाई। वे कहते हैं, द्यकैसी जुदाई ? कहाँ जाएगी अमृता ? उसे यहाँ ही रहना है, मेरे पास, मेरे इर्द-गिर्द हमेशा। हमें कौन जुदा कर सकता है ? मौत भी नहीं।

उमा त्रिलोक अमृता प्रीतम और इमरोज की गहरी पारिवारिक मित्र थीं। अपनी संस्मरणात्मक पुस्तक द्यअमृता-इमरोज में उन्होंने उस परिवार के साथ अपने अंतरंग क्षणों और बातचीत को कुछ ऐसे शब्दों में बाँधा है कि एक बार शुरू करने के बाद पुस्तक खत्म होने के बाद ही आपके हाथ से छूटती है। बीच-बीच में अमृता प्रीतम की कविताओं के अंश एक दूसरे ही भावलोक में ले जाते हैं।

अमृता और इमरोज का संबंध कैसा था और स्नेह और अंतरंगता की किस भूमि पर विकसित हुआ था, इसे उमा त्रिलोक ने बहुत भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है। अमृता और इमरोज के लंबे संवाद और उमा त्रिलोक के साथ उनकी बातचीत इस संबंध की अंतरात्मा को पर्त-दर-पर्त हमारे सामने खोलती है, और फिर एक ऐसी तस्वीर उभरकर आती है, जहाँ ईर्ष्या, प्रतियोगिता, अहं और धन-संपत्ति, इन सबसे ऊपर उठकर विशुद्ध प्रेम और भावना की जमीन पर एक रिश्ता खड़ा हुआ है। अमृता और इमरोज का संबंध स्त्री-पुरुष के बीच प्रेम और समानता पर आधारित संबंध की मिसाल है।

दुनिया में और भी ऐसे जोड़े मिलेंगे, जिन्होंने स्त्री-पुरुष के बीच समता, स्वतंत्रता और प्रेम पर टिके रिश्तों का आदर्श प्रस्तुत किया, जैसे सिमोन द बोवुआर और सार्त्र का संबंध था, जो समाज के हर नियम से परे सिर्फ प्रेम और बौद्धिकता की जमीन पर फला-फूला था। अमृता और इमरोज का रिश्ता भी ऐसा ही था। जहाँ कोई अहं नहीं है, और कोई किसी से छोटा या बड़ा नहीं है। दोनों के लिए बस एक-दूसरे का होना ही मायने रखता है। अमृता साहिर से प्रेम करती थीं, लेकिन इसे लेकर इमरोज के भीतर कभी कोई ईर्ष्या या असुरक्षा की भावना पैदा नहीं हुई।

पुस्तक में कई ऐसे प्रसंग हैं, जब इमरोज अमृता और उनके साथ अपने रिश्तों के बारे में बात करते हैं। उनकी बातों की ईमानदारी और पारदर्शिता मन को छू लेती है।

वक्त के साथ मूल्य-मान्यताएँ बदल रही हैं, लेकिन बदलाव की यह गति बहुत ही धीमी है। जाति-धर्म-संपत्ति को प्रेम से ज्यादा मूल्यवान समझने वाले समाज के लिए ऐसी पुस्तकें बहुत उपयोगी हैं, जो प्रेम करने का साहस देती हैं और प्रेम की निगाह से दुनिया को देखना सिखाती हैं।

पुस्तक - अमृता इमरोज
लेखिका - उमा त्रिलोक
प्रकाशक - पेंग्विन बुक्स
पृष्ठ संख्या - 130
मूल्य - 120/-

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi