इस वक्त में द लास्ट गर्ल नाम की एक किताब बहुत चर्चा में है। कई इंटरनेशनल मीडिया और अखबारों में इस किताब का जिक्र हो रहा है।
दरअसल, इसका सब्जेक्ट ही बहुत सनसनीखेज है, हालांकि यह कोई काल्पनिक कथा नहीं बल्कि एक लड़की की जिंदगी की हकीकत है।
यह किताब है नादिया मुराद की। नादिया मुराद एक ऐसी साहसिक लड़की है, जिसने इस्लामिक स्टेट की यातनाओं के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। नादिया मुराद एक यजीदी युवती है। जिसने आईएसआईएस की कैद में रहते हुए तमाम तरह की यातनाओं को भोगा। चाहे वो मारपीट हो या सिगरेट से उसकी त्वचा को जलाना या फिर सामुहिक यौन उत्पीड़न।
इराक में नादिया ने असहनीय और कल्पना से परे यातनाओं को सहा। इस्लामिक स्टेट के रहनुमाओं ने उसकी जिंदगी को तहस-नहस कर दिया। यहां तक कि उसके छह भाईयों और मां को उसके सामने मौत के घाट उतार दिया और उनके शवों को कब्रस्तान में दफना दिए।
जिंदगी में इतनी तबाही के बावजूद नादिया इस्लामिक स्टेट के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करती हैं और न सिर्फ यजीदी युवतियों बल्कि दुनिया की तमाम औरतों के लिए एक मिसाल और मशाल की तरह नजर आती है।
अपने इसी संघर्ष के लिए नादिया मुराद को नोबल शांति पुरस्कार भी मिला है। द लास्ट गर्ल इस युवती और हजारों लाखों यजीदियों पर किए गए अत्याचार और उस अत्याचार के खिलाफ लड़ाई की सशक्त आवाज है। हिंदी और अंग्रेजी के अलावा यह किताब कई भाषाओं में अनुवाद की गई है। भारत में इसे मंजुल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इसका हिंदी अनुवाद आशुतोष गर्ग ने किया है।
मंजुल से प्रकाशित इस हिंदी संस्करण की कीमत 299 रुपए है। इस्लामिक स्टेट के अत्याचारों और यातनाओं के खिलाफ इस महत्वपूर्ण दस्तावेज से गुजरना एक बेहद साहसिक कदम होने के साथ ही इस्लामिक स्टेट की निर्मम मानसिकता को भी बहुत अच्छे तरीके से बयान करेगी।
किताब: द लास्ट गर्ल
प्रकाशक: मंजुल पब्लिशिंग हाउस
भाषा: हिंदी
कीमत: 299