Hindi Language Evolution: हिंदी, भारत की सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह भाषा कैसे विकसित हुई? हिंदी भाषा का विकास कैसे हुआ? आइए, हिंदी भाषा के विकास के रोचक सफर पर चलते हैं। इस लेख में हम हिंदी भाषा के इतिहास के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो संस्कृत से लेकर आधुनिक काल तक का सफर तय करती है।
हिंदी भाषा का जन्म
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वैदिक संस्कृत: 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व के बीच भारत में वैदिक संस्कृत का इस्तेमाल होता था। वेद और उपनिषद इसी भाषा में लिखे गए हैं।
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लौकिक संस्कृत: वैदिक संस्कृत के बाद लौकिक संस्कृत का उदय हुआ।
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पालि और प्राकृत: लौकिक संस्कृत से पालि भाषा निकली। गौतम बुद्ध के उपदेश पालि में लिखे गए थे। पालि से ही प्राकृत भाषा का विकास हुआ।
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अपभ्रंश और हिंदी: प्राकृत भाषा के बिगड़े हुए रूप को अपभ्रंश कहा जाता है। अपभ्रंश के तीन मुख्य रूप थे: शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी। इन तीनों अपभ्रंशों से ही हिंदी भाषा का विकास हुआ।
हिंदी का इतिहास: तीन काल
हिंदी भाषा के विकास को तीन कालों में बांटा गया है:
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आदिकाल (1000 ई. - 1500 ई.): इस काल में कविताएं और रासो ग्रंथ लिखे गए।
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मध्यकाल (1500 ई. - 1900 ई.): इस काल को भक्तिकाल भी कहा जाता है। इस दौरान भक्ति काव्य की रचना हुई।
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आधुनिक काल (19वीं सदी से): इस काल में हिंदी गद्य का विकास हुआ और हिंदी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिला।
भारतेंदु हरिशचंद्र का योगदान
भारतेंदु हरिशचंद्र को हिंदी गद्य का जनक माना जाता है। उन्होंने हिंदी गद्य साहित्य को एक नई दिशा दी। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
हिंदी भाषा का विकास एक लंबी और जटिल प्रक्रिया रही है। यह भाषा संस्कृत से निकली है और विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों से गुजरकर आज की स्थिति में पहुंची है। हिंदी भाषा भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक है।
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