राष्ट्रीय हिन्दी दिवस का इतिहास : महात्मा गांधी ने साल 1918 में एक हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था। उस दौरान में आधिकारिक तौर पर अंग्रेजी भाषा भारत राजभाषा थी। गैर हिन्दी राज्यों ने अंग्रेजी को राजभाषा से हटाने का विरोध किया। पं. जवाहरलाल नेहरू के अपने कार्यकाल में 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकृति मिली।
26 जनवरी 1949 को, भारतीय संविधान सभा ने एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुये हिन्दी को भारत संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। इस निर्णय का उद्देश्य देश की विविधताओं के बीच एक भाषा को एकता के सूत्र में पिरोना था। उन्होंने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को औपचारिक रूप से संघ की राजभाषा के रूप में अपनाया।
यह निर्णय बाद में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में शामिल किया गया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। फिर 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष 'हिन्दी दिवस' के रूप में मनाया जाने है। सन् 1949 के बाद 1950, 1951 और 1952 में हिन्दी दिवस नहीं मनाया गया था।
कुछ प्रमुख तथ्य:
• राजभाषा का दर्जा: हिन्दी को भारत की राजभाषा (आधिकारिक भाषा) का दर्जा दिया गया है, न कि राष्ट्रभाषा का।
• पहला हिन्दी दिवस: पहला हिन्दी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।
• विश्व हिन्दी दिवस: इसके अलावा, 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है। यह दिन 1975 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।
राष्ट्रीय हिन्दी दिवस 2025 की थीम: हर साल हिन्दी दिवस को एक खास थीम के साथ मनाया जाता है जो हिन्दी भाषा के विकास और उसके महत्व से जुड़ी होती है। वर्ष 2025 में- 'हिन्दी: राष्ट्रीय एकता और वैश्विक पहचान की ताकत' थीम होने की उम्मीद है। आमतौर पर, ये थीम हिन्दी को डिजिटल दुनिया से जोड़ने, तकनीकी शिक्षा में हिन्दी का प्रयोग बढ़ाने, हिन्दी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने तथा नए क्षेत्रों में हिन्दी के विस्तार पर जोर देगी।