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Hindi diwas 2025: हिंदी दिवस पर दमदार भाषण जिसे सुन तालियों से गूंज उठेगा सभागार

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WD Feature Desk

, शुक्रवार, 12 सितम्बर 2025 (14:59 IST)
Speech on hindi diwas: हर साल हमारे देश में 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी भाषा के गौरव को उत्सव की तरह मनाने के लिए 1 सितंबर से 14 सितंबर तक हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जाता है इस दौरान देश भर के स्कूल और कॉलेजों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिसके अंतर्गत भाषण प्रतियोताएं, निबंध और वाद-विवाद आदि में विद्यार्थी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। यदि आप भी इनमें हिस्सा लेकर दमदार प्रस्तुति देना चाहते हैं तो यहां आपके लिए उपयुक्त पठन सामग्री दी जा रही है। हिंदी दिवस पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए आप यहां दिए आलेख को अपने भाषण या निबंध में उपयोग कर सकते हैं।     
 
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त गुरुजन और मेरे प्यारे मित्रों,
आज हम सब यहां हिंदी दिवस मनाने के लिए एक पवित्र भावना के साथ एकत्रित हुए हैं। हिंदी, जिसे हम केवल एक भाषा मानते हैं, वह वास्तव में उससे कहीं अधिक है। यह हमारी भावना है, संस्कृति है और धरोहर है। यह वह धागा है जो हमें, एक विशाल राष्ट्र को, एक-दूसरे से जोड़ता है। इस मंच से, मैं हिंदी को केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे बदलते भारत की एक मजबूत पहचान के रूप में प्रस्तुत करना चाहूंगा। हिंदी को सिर्फ 14 सितंबर को याद करना काफी नहीं, बल्कि इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना हर भारतीय का कर्तव्य है। यह महज एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान का दर्पण है।
 
हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है?
मित्रों, हिंदी दिवस महज एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी भाषाई स्वतंत्रता का प्रतीक है। 14 सितंबर 1949 को, हमारी संविधान सभा ने हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में अपनाया था। यह निर्णय भारत के गौरव और पहचान को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। संविधान निर्माताओं के लिए यह एक आसान निर्णय नहीं था। वर्षों तक चली बहस और गहन चर्चा के बाद, इस पर आम सहमति बनी। संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, "संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।" इस ऐतिहासिक दिन की याद में हम हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं।
 
यह हमें सिर्फ भाषा के बारे में नहीं, बल्कि उन मूल्यों के बारे में भी याद दिलाता है जो इस भाषा के साथ जुड़े हैं—एकता, विविधता का सम्मान और राष्ट्रीय गौरव। हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय यह दिखाता है कि हमारे पूर्वजों ने हिंदी को एक ऐसी भाषा के रूप में देखा था जो पूरे देश को एकजुट कर सकती है, जबकि सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान भी करती है।
 
हिंदी: हमारी संस्कृति की पहचान और आत्मा
क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी हमारी पहचान कैसे है? जब हम विदेशों में जाते हैं, तो हमारी पहचान हमारी भाषा से होती है। विश्व पटल पर, हिंदी हम हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। यह वह भाषा है जिसमें हमारे लोकगीत, हमारी कहानियां, हमारी कविताएं और हमारा इतिहास छिपा है। हिंदी सिर्फ शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं, रीति-रिवाजों और हमारे सोच-विचार का प्रतिबिंब है। यह वह भाषा है जिसमें हमारे भजन, दोहे, कविताएं और कहानियां जीवित हैं। हिंदी हमारी जड़ों से जुड़ने का जरिया है।
 
यह भाषा गंगा-यमुना की तरह पवित्र है, जिसमें अवधी, ब्रज, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी अनेकों बोलियों का मीठा पानी आकर मिलता है, और इसे और भी समृद्ध बनाता है। हिंदी को सिर्फ 'खड़ी बोली' तक सीमित करना अनुचित होगा। यह भाषाओं का एक विशाल परिवार है जो हर क्षेत्र के स्वाद को अपने में समाहित करता है।
 
हिंदी का संरक्षण और प्रोत्साहन कैसे हो?
यह एक दुखद हकीकत है कि आज कई युवा हिंदी बोलने में झिझक महसूस करते हैं। वे इसे केवल एक विषय समझते हैं, न कि संवाद का माध्यम। यह मानसिकता हिंदी के भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है। हमें यह समझना होगा कि किसी अन्य भाषा को अपनाने में कोई बुराई नहीं, लेकिन अपनी मातृभाषा को भूलना अपनी पहचान को खोने जैसा है। हमें हिंदी बोलने में शर्म नहीं, गर्व का अनुभव करना चाहिए।
 
हिंदी के संरक्षण के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, हमें हिंदी में रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए। जब हिंदी बोलने और लिखने से करियर बनेगा, तो युवा इसे अपनाने में गौरव महसूस करेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हिंदी सिर्फ साहित्य की भाषा न रहे, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और व्यापार की भी भाषा बने। इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है, और यह एक बड़ा अवसर है। 
सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा। सरकारी कार्यालयों से लेकर निजी कंपनियों तक, हिंदी का उपयोग बढ़ाना चाहिए। हमें अपनी नई पीढ़ी को बचपन से ही हिंदी के महत्व को समझाना होगा। उन्हें यह सिखाना होगा कि अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा हो सकती है, लेकिन हिंदी हमारी आत्मा की भाषा है।
 
हिंदी की वैश्विक पहचान और महत्व
आज हिंदी केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में हिंदी बोली जाती है। मॉरीशस में तो हिंदी को आधिकारिक भाषाओं में से एक का दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिंदी का प्रयोग अब आम हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण दिया है, जिससे हमारी भाषा को एक नई पहचान मिली है।
 
आज, विश्व की कई बड़ी कंपनियां और मीडिया हाउस हिंदी में काम कर रहे हैं, क्योंकि वे भारत के बड़े हिंदी-भाषी बाजार को जानते हैं। बॉलीवुड फिल्में और भारतीय टीवी शो दुनिया भर में लोकप्रिय हैं, जिससे हिंदी भाषा और संस्कृति का प्रसार हो रहा है।
 
एक राष्ट्र, एक भाषा?
कुछ लोग यह मानते हैं कि भारत में सिर्फ एक भाषा होनी चाहिए, लेकिन यह हमारी विविधता के खिलाफ होगा। भारत की असली खूबसूरती उसकी अनेकता में एकता में है। हिंदी हमारी राष्ट्रीय पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन हमें अपनी सभी क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां हर कुछ किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है, और हर भाषा का अपना एक समृद्ध इतिहास है। हिंदी का काम बाकी भाषाओं को दबाना नहीं, बल्कि उन्हें सम्मान देना और पूरे देश को एक सूत्र में पिरोना है।
 
आइए, इस हिंदी दिवस पर हम सब यह प्रण लें कि हम हिंदी का सम्मान करेंगे, इसे बोलेंगे, लिखेंगे और इसका प्रचार करेंगे। हम अपनी भाषा को केवल 14 सितंबर तक सीमित न रखें, बल्कि हर दिन इसे अपनाएं। हमारी भाषा ही हमारी संस्कृति का आईना है। हिंदी को अपनाना सिर्फ एक भाषाई पसंद नहीं, बल्कि एक देशभक्ति का कार्य है। जय हिंदी, जय भारत!

 

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