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Vijayadashami essay 2025: विजयादशमी दशहरा पर पढ़ें रोचक और शानदार हिन्दी निबंध

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हमें फॉलो करें Dussehra 2025

WD Feature Desk

, बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 (09:05 IST)
Dussehra in India: प्रस्तावना: विजयादशमी, जिसे हम दशहरा के नाम से भी जानते हैं, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और हर्षोल्लास भरे त्योहारों में से एक है। यह पर्व हर साल नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है, और यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि सत्य की असत्य पर और धर्म की अधर्म पर विजय का एक शाश्वत प्रतीक है।ALSO READ: Dussehra 2025 Date: विजयादशी दशहरा कब है?

यह दिन हमें दो महान कथाओं का स्मरण कराता है, एक ओर भगवान राम द्वारा अहंकारी रावण का वध, तो दूसरी ओर देवी दुर्गा द्वारा दुष्ट महिषासुर का संहार। यह दोहरा विजय संदेश इस पर्व को और भी अधिक प्रासंगिक और गहरा बनाता है।
 
पौराणिक कथाएं और गहरा महत्व: दशहरा शब्द 'दश' (दस) और 'हरा' (हार) से बना है, जिसका अर्थ है 'दस बुराइयों की हार'। इस दिन की दो प्रमुख पौराणिक कथाएं इसका महत्व दर्शाती हैं:
 
1. राम-रावण युद्ध और रावण दहन: सबसे लोकप्रिय कथा के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। रावण, जो अत्यधिक बलवान और विद्वान था, उसका अंत उसके अहंकार और अनैतिकता के कारण हुआ। दशहरा पर रावण के विशाल पुतले, उसके भाई कुंभकर्ण और पुत्र मेघनाद के साथ जलाए जाते हैं। 
 
यह अग्निदाह केवल पुतलों का नहीं, बल्कि हमारे भीतर छिपी बुराइयों, अहंकार, क्रोध, लोभ और ईर्ष्या का भी प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि कितनी भी शक्ति क्यों न हो, जब धर्म का मार्ग छोड़ दिया जाता है, तो अंत निश्चित है।
 
2. महिषासुर मर्दिनी और देवी विसर्जन: दूसरी कथा के अनुसार, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से भयंकर युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। इसी विजय के कारण इस दिन को 'विजयादशमी' कहा जाता है। इस कथा का संदेश यह है कि जब भी अन्याय और बुराई बहुत बढ़ जाती है, तो दैवीय शक्ति उसका नाश करने के लिए प्रकट होती है। यही कारण है कि पश्चिम बंगाल सहित देश के कई हिस्सों में इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
 
विजयादशमी की रंगारंग परंपराएं: दशहरा का उत्सव पूरे देश में अपनी-अपनी अनूठी परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
 
• शस्त्र पूजा: भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से राजपूतों और सैनिकों के बीच, इस दिन शस्त्रों और औजारों की पूजा करने की परंपरा है। यह उनके जीवन में कर्म और शक्ति के महत्व को दर्शाता है।
 
• रामलीला और झांकियां: नवरात्रि के नौ दिनों तक चलने वाली रामलीला का मंचन विजयादशमी पर रावण दहन के साथ समाप्त होता है। यह एक सामूहिक उत्सव होता है, जिसमें पूरा समुदाय मिलकर हिस्सा लेता है।
 
• देवी विसर्जन: बंगाल, ओडिशा और असम में 'दुर्गा पूजा' का समापन विजयादशमी पर देवी की प्रतिमा के विसर्जन के साथ होता है। भक्तजन 'आशे बछर आबार होबे' (अगले साल फिर होगा) कहते हुए देवी को विदाई देते हैं।
 
• अपराजिता पूजा: कुछ स्थानों पर, इस दिन अपराजिता देवीकी पूजा की जाती है, ताकि हर कार्य में विजय प्राप्त हो सके।
 
उपसंहार: विजयादशमी एक ऐसा पर्व है जो हमें सिर्फ इतिहास की जीत का स्मरण नहीं कराता, बल्कि हमें व्यक्तिगत रूप से भी बुराइयों पर विजय पाने के लिए प्रेरित करता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि सत्य और धर्म की राह पर चलने वाला व्यक्ति चाहे कितना भी अकेला क्यों न हो, उसकी विजय अंततः निश्चित है।

दशहरा हमें अहंकार को जलाकर, क्रोध को शांत कर और सच्चाई को अपनाकर एक बेहतर इंसान बनने का संदेश देता है। यह विजय का उत्सव है, जो हर साल हमें एक नई शुरुआत और नई आशा से भर देता है।ALSO READ: Navratri 2025 Essay: शक्ति और भक्ति का महापर्व नवरात्रि पर पढ़ें सबसे बेहतरीन निबंध हिन्दी में

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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