कमरतोड़ महंगाई और गरीबी से तंग आकर एक शायर डाकू बन गए और डकैती करने एक बैंक गए,
बैंक में घुसते ही हवाई फायर करते हुए अर्ज़ किया :
तक़दीर में जो है वही मिलेगा, हैंड्स-अप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा…
शायर ने फिर ऊंची आवाज में अर्ज किया –
'बहुत कोशिश करता हूं उसकी यादों को भुलाने की,
ध्यान रहे कोई कोशिश न करना पुलिस बुलाने की…
फिर कैशियर की कनपटी में बंदूक रखते हुए से कहा-
“ए खुदा तू कुछ ख्वाब मेरी आंखों से निकाल दे,
जो कुछ भी है, जल्दी से इस बैग में डाल दे…”
कैश लेने के बाद शायर ने लॉकर की तरफ इशारा करके कैशियर से कहा-
जज्बातों को ना समझने वाला इश्क क्या संभालेगा
लाकर का पैसा क्या तेरा अब्बू बाहर निकलेगा ..”
जाते जाते एक और हवाई फायर करते शायर ने अर्ज किया
भुला दे मुझको क्या जाता है तुम्हारा
मार दूंगा गोली जो पीछा किया हमारा…”