एक बूढा और एक बुढ़िया थे।बूढा बुढ़िया को बहुत प्यार करता था।
बुढ़िया जहाँ जाती बूढा उसके पीछे-पीछे जाता...जैसे बुढ़िया बरतन धोती बूढा उसके पीछे खड़ा हो जाता।बुढ़िया घर का कोई भी काम करती बूढा उसके पीछे रहता।
वह बुढ़िया को एक सेकंड के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता। इससे बुढ़िया बहुत परेशान हो गयी ।
बुढ़िया के घर से उसकी बुढ़िया माँ के फ़ोन आ रहे थे की बेटी एक बार मिलने आजा... पर बुढ़िया कैसे जाए बूढा तो उसे अकेला छोड़ता ही नहीं।
तब बुढ़िया ने कुछ सोचा उसने बूढे से कहाँ चलो जी आज हम छुप्पन-छुप्पआई खेलते हैं। तुम छुपो मैं तुम्हें ढूंढूंगी। बुढा जाकर छुप गया।
बुढ़िया जल्दी से दूसरे कमरे में गई वहां से उसने अपना बक्सा उठाया। और जल्दी से अपनी माँ के घर पंहुच गयी। अपनी माँ के घर पंहुचकर, जैसे ही उसने बक्सा खोला बूढा बोला धप्पा....