हमारे यहां शादी में कुछ आदमी हलवाई के पास कुर्सी लगाकर बैठे रहते हैं।
ये ज्यादातर मामाजी, मौसाजी, फूफाजी, या जीजाजी टाइप के होते हैं।
ये पाक कला के बारे में कुछ नहीं जानते फिर भी चार पांच बार दोनों हाथ पीछे बांधकर हर चीज को देखते हैं और हलवाई को रटे रटाए प्रश्न पूछते हैं...
पकौड़ी में नमक कम है ?
कचौड़ी थोड़ी नरम रखना,
25 लीटर दूध आया था वो कहां चला गया ??
जलेबी कुरकुरी बनाना
पूरी पतली बनाना
दाल में पानी कम रखना
लड्डू की शकर पिसी रखना
केशर कम लो भाई
ककड़ी कड़वी तो नहीं है
खट्टा दही मत मिलाना
कढ़ी में तेजपत्ता डालना रे
चावल में घी डाला कि नहीं
खोपरा पाक जम क्यों नहीं रहा
लोई छोटी लो बाई, पूरी मोटी नी होनी चिए
चखाना जरा एक बार
सलाद बास गया है तुम्हारा
चाय भी बना देना इसके बाद
मलाई हटाओ जरा
तपेला नी मंजा है
परात में घी का हाथ फिराओ पेले
धामे पूरे मत भरो
दुबे जी की छोरी की शादी में तुम ही थे न, पिचान गया मैं, पर दाल चावल कम पड़ गए थे वां तो.. ..
लास्ट वन ( दुुुुुल्हे को पकड़ कर) यार कां से लाए इसको ये तो चोट्टा है .... मेरे से पूछना तो था....