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दया ही दुख का कारण है : चुटकुले में मां का किरदार लोटपोट कर देगा आपको

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एक 20-22 साल का नौजवान सुपर मार्केट में दाखिल हुआ!
कुछ ख़रीदारी कर ही रहा था कि उसे महसूस हुआ कि कोई औरत उसका पीछा कर रही है!
मगर उसने अपना शक समझते हुए नज़रअंदाज़ किया और ख़रीदारी में मसरूफ हो गया!
लेकिन वह औरत लगातार उसका पीछा कर रही थी!
अबकी बार उस नौजवान से रहा न गया!
वह अचानक उस औरत की तरफ मुड़ा और पूछा!
माँ जी खैरियत है?
 
औरत बोली बेटा आपकी शक्ल मेरे मरहूम बेटे से बहुत ज्यादा मिलती जुलती है!
मैं ना चाहते हुए भी आपको अपना बेटा समझते हुए आपके पीछे चल पड़ी!
और आप ने मुझे माँ जी कहा तो मेरे दिल के जज़्बात और खुशी बयां करने लायक नहीं!
 
औरत ने यह कहा और उसकी आँखों से आँसू बहने शुरू हो गये!
नौजवान बोला कोई बात नहीं माँ जी आप मुझे अपना बेटा ही समझें!
वह औरत बोली कि बेटा क्या आप मुझे एक बार फिर माँ जी कहोगे?
नौजवान ने ऊँची आवाज़ से कहा!
जी माँ जी....
 
पर उस औरत ने ऐसा बर्ताव किया जैसे उसने सुना ही ना हो!
नौजवान ने फिर ऊंची आवाज़ में कहा जी माँ जी....
औरत ने सुना और नौजवान के दोनों हाथ पकड़ कर चूमे!
अपने आंखों से लगाए और रोते हुए वहां से रुखसत हो गई।
 
नौजवान उस मंज़र को देख कर अपने आप पर काबू नहीं कर सका और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे!
वह अपनी खरीदारी पूरी करे बगैर ही वापस चल दिया!
काउंटर पर पहुँचा तो कैशियर ने दस हज़ार का बिल थमा दिया....
नौजवान ने पूंछा कि ये दस हज़ार कैसे........?
 
कैशियर ने कहा आठ सौ रुपए का बिल आपका है और नौ हजार दो सौ आपकी माँ के हैं!
जिन्हें आप अभी माँ जी माँ जी...... कह रहे थे।
 
उस दिन का दिन और आज का दिन....
नौजवान अपनी असली मां को भी मौसी कहता है।

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