भिया,तुम अपने वाले हो इसलिए केरिया हुं
गर्मी के दिन चल्लू हो गये है तो ज्यादा होसियार मत बन्ना , एक प्याज़ जेब मे रख लेओगे तो छोटे बाप के नी हो जाओगे...
ऐं!!! मेको कई नी होता" के के घर से हिटोगे तो भोत बड़े बल्लम बन जाओगे क्या
भिया, मैं तो केरिया हु कूलर के ऊपर थोड़े बरफ़ के डल्ले रख लेओ...नी मजा आए तो केना।
केरी का पना, झोलिया पियो चार बार, पेट भले ही गुड़ गुड़ हो जाये पर लू तो नी लगेगी ना पेलवान..
रात को सोते टेम दोई पगतली पानी के टब में डाल के 10 मिलिट भाटसप्प छान देओ।
सड़क किनारे गाड़ी रोक के पांच दस रुपे का बरफ वाला गन्ने जूस पिलोगे तो जायदाद नी लूट जायगी...पर दो रोटी कम खाओ तो जूस की जगो छूटे ना भिया...सूबे पोए के बाद 8 रोटी दबानी है तो दबानी है,,, पेलवान 8-10 दिन कम खाओगे तो कोई माथे नी आ जायेगा...पर तुमको तो ठंड हो कि गर्मी जब तक मन भर खवायेगा नी तुम्हारा मन नी लगेगा कई पे भी...
गाडी-घोड़े पे तुमको हेलमेट पेन्ने की आदत तो तुमारे काकाजी बी नी डाल पाये, तो पेलवान, शरम नी आय तो एक गमछा नितो 20 रुप्पट्टी का रुमाल मुंडे पे डाल लेना।
ठंडई के चक्कर मे भरी दुफेरी 3-4 दिन मोरसली गली/ चिकमंगलूर पे रमुच नी मारोगे तो ये भी खुद पे भोत बडा ऐसान होगा...पर भिया,मे क्यों इत्ती मगजमारी करू.. भई होंने के नाते जो फ़रज़ बन रिया था बोल दिया,बाकी तुम देख लेना...कई जरवत पडे तो लंबर हैई तुमारे कने....