बहादुर सिंह चार वर्ष से एक सर्कस में शेरों को ट्रेनिंग दे रहे थे- एक दिन सुबह नाश्ता करते समय किसी बात पर पत्नी से बहस हो गई- बहादुर सिंह को गुस्सा आ गया और वो नाश्ता छोड़ कर सर्कस चले गए-
पत्नी गुस्से में आग बबूला हो गई- उसने भी पति को रोका नहीं-
शाम को अचानक धुंआधार बारिश शुरू हो गई-
बहादुर सिंह का गुस्सा अभी तक ठंडा नहीं हुआ था-
उन्होंने फैसला किया:..."आज रात घर नहीं जाऊंगा-"
इसलिए वो शेर के साथ पिंजरे में ही लेट गए और कम्बल तान के सो गए-
रात ज़्यादा बीत गई तो घर पर पत्नी को चिंता हुई ....
मोबाइल पर कॉल किया लेकिन उस समय बहादुर सिंह गहरी नींद सो रहे थे-
फोन सुना ही नहीं-
पत्नी की परेशानी चरम पर पहुंच गई-
उसने कार निकाली और खुद ड्राइव करके सर्कस जा पहुंचीं-
देखा बहादुर सिंह शेर के पिंजरे में खर्राटे ले रहे हैं-
पत्नी ने एक छड़ी उठाई और शेर के पिंजरे के पास गईं।
उसने छड़ी को अपने पति पर चुभोते हुए कहा : "डरपोक कहीं के... यहां छुपे बैठे हो ?
तुम्हें क्या लगता है... ये शेर तुम्हें बचा लेगा.........?