पिता (अपने बेटे से)- देखो बंटी बेटा, जुआ नहीं खेलते।
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...यह ऐसी आदत हैं कि यदि इसमें आज जीतोगे तो कल हारोगे,
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परसों जीतोगे तो उससे अगले दिन हार जाओगे।
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बंटी बोला- बस-बस, पिताजी... मैं समझ गया,
...आगे से मैं एक दिन छोड़कर खेला करूंगा।