जब भगवान सारी सब्जियों को उनके गुण और सुगंध बांट रहे थे तब प्याज चुपचाप उदास होकर पीछे खड़ी हो गई। सब चले गए प्याज नहीं गई। वहीँ खड़ी रही।
तब विष्णु जी ने पूछा, 'क्या हुआ तुम क्यों नहीं जाती?'
तब प्याज रोते हुए बोली, 'आपने सबको सुगंध और सुंदरता जैसे गुण दिए पर मुझे बदबू दी। जो मुझे खाएगा उसका मुंह बदबू देगा। मेरे साथ ही यह व्यवहार क्यों?'
तब भगवान को प्याज पर दया आ गई। उन्होंने कहा, 'मैं तुम्हें अपने शुभ चिह्न देता हूं। यदि तुम्हें खड़ा काटा जाएगा तो तुम्हारा रूप शंखाकार होगा और यदि आड़ा काटा गया तो चक्र का रूप होगा।
यही नहीं सारी सब्जियों को तुम्हारा साथ लेना होगा, तभी वे स्वादिष्ट लगेंगी और अंत में तुम्हें काटने पर लोगों के वैसे ही आंसू निकलेंगे जैसे आज तुम्हारे निकले हैं। जब-जब धरती पर महंगाई बढ़ेगी तुम सबको रुलाओगी। दोस्तों इसीलिए प्याज आज इतना रुला रही है, क्योंकि उसे भगवान का वरदान प्राप्त है।