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देवीप्रसाद सृजन सम्मान से नवाजे गए डॉ. अरुण वर्मा

हमें फॉलो करें देवीप्रसाद सृजन सम्मान से नवाजे गए डॉ. अरुण वर्मा
, मंगलवार, 22 नवंबर 2022 (11:51 IST)
विचार और लेखन की शक्ति मनुष्य को निडर बनाती है-प्रो. मिश्र
 
इन्दौर, जनवादी लेखक संघ इंदौर और उज्जैन की इकाइयों द्वारा देवीप्रसाद मौर्य सृजन सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अरुण वर्मा को प्रदान किया गया। डॉ. वर्मा को पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेश मिश्र, वरिष्ठ कवि डॉ. प्रमोद त्रिवेदी, कार्यक्रम के अध्यक्ष नरेन्द्र जैन, रजनीरमण शर्मा और सुश्री चारुशीला मौर्य ने शाल-श्रीफल सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।
 
 
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. मिश्र ने कहा कि डॉ. वर्मा के साहित्य में वे मूल्य, चिंताएं और सरोकार स्पष्ट रूप से हमें दिखाई देते हैं, जो आज कहीं खो गए हैं। उनके लेखन में गांधीवाद और मार्क्सवाद का समन्वय भी दिखाई देता है। वे अपनी अभिव्यक्ति में निडर होकर अपनी बात रखते हैं यह कुलमिलाकर विचारों और लेखन की शक्ति ही है। उन्होंने माधव कॉलेज और कालिदास समारोह के इतिहास के विभिन्न पक्षों को भी रेखांकित किया है।
 
कार्यक्रम के प्रारंभ में देवीप्रसाद मौर्य का परिचय देते हुए सुरेश उपाध्याय इंदौर ने कहा कि मौर्य जी जनवादी चेतना के विलक्षण रचनाकार थे। वे मूलतः गणित और विज्ञान के प्रोफेसर रहे हैं लेकिन उन्होंने भारतीय इतिहास पर भी शोधपूर्ण कार्य किया है।
 
 
डॉ. अरुण वर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए डॉ. जफर मेहमूद ने कहा कि डॉ. वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के लेखक और शिक्षक रहे हैं उनकी याददाश्त लाजवाब है। जीवन में वे अनुशासन प्रिय होकर बेहतरीन चीजों के शौकीन रहे हैं। उन्होंने माधव कॉलेज और कालिदास समारोह के इतिहास का लेखन कर बहुत बड़ा योगदान दिया है।
 
इंदौर के प्रदीप मिश्र ने कहा कि प्रो. अरुण वर्मा आज के दौर के प्रगतिशील और जनवादी विचारधारा के रचनाकार है। जिन्होंने नागरिक और लेखकीय निर्भयता के साथ मानवीय सरोकारों का हस्तक्षेप करते हुए अपनी अलग पहचान बनाई। अरुण वर्मा जितने अच्छे लेखक हैं उतने ही श्रेष्ठ आयोजक भी हैं। कार्यक्रम में सम्मान पत्र का वाचन सुश्री चारुशीला मौर्य ने किया।
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अपने सम्मान का उत्तर देते हुए डॉ. वर्मा ने कहा कि लेखन और सृजन का संस्कार मैंने अपने परिवार और पूज्य पिता श्री गजानन वर्मा से पाया। मेरी जिंदगी के रास्तों को रोशन करने में मेरे गुरु डॉ. भगवतशरण उपाध्याय और आचार्य श्रीनिवास रथ का अभूतपूर्व योगदान रहा है। गुरुजनों की प्रेरणा से ही मैंने अपनी मंजिलें और कामयाबी को पाया है। इतिहास बोध और इतिहास दृष्टि बनाने में भगवतशरण जी के साथ ही राहुल जी, कोशांबी जी और देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय की पुस्तकों का योगदान रहा है। साहित्य को मैंने हमेशा प्रतिरोध का कारगर हथियार बनाने की कोशिश की है।
 
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए नरेन्द्र जैन ने कहा कि आज के सम्मान समारोह के लिये मैं जनवादी लेखक संघ इंदौर को बधाई देता हूं और देवीप्रसाद मौर्य सृजन सम्मान से नवाजे गए डॉ. अरुण वर्मा का हार्दिक अभिनंदन करता हूं।
 
सम्मान समारोह के बाद रचनापाठ के अंतर्गत प्रमोद त्रिवेदी, नरेन्द्र जैन, राजेश सक्सेना, श्रीराम दवे, मीरा जैन, डॉ रमेश चंद्र और शिरीन भावसार ने अपनी-अपनी रचनाओं का पाठ किया।

 
इस अवसर पर बड़ी संख्या में उपस्थित सुधी जन और साहित्यकारों में डॉ. एस.एन गुप्ता, प्रतीक सोनवलकर, शरद शर्मा, सुरेश उपाध्याय, रजनीरमण शर्मा, प्रदीप कांत, प्रदीप मिश्र, पिलकेन्द्र अरोरा, रमेशचंद्र शर्मा, शशिभूषण, डॉ राजेन्द्र जैन, डॉ राजेन्द्र छजलानी, डॉ. रमेशचंद्र, विभा दुबे, शिरीन भावसार, देवेन्द्र रिणवा, मधु कान्त, राजेश ब्रह्मवेद, छोटू भारती, सुरेश पटेल, यू.एस. छाबड़ा, रामत्यागी, डॉ तेजकुमार मालवीय के साथ ही वर्मा परिवार के सदस्य प्रमुख रहे हैं।
 
 
कार्यक्रम के सम्मान सत्र का संचालन वरिष्ठ व्यंग्यकार और समावर्तन के सम्पादक हरीश कुमार सिंह ने किया और रचना पाठ का संचालन प्रदीप कान्त और रजनी रमण शर्मा ने किया तथा आभार देवेन्द्र रिणवा इंदौर ने माना।

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