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कृत्रिम नहीं मनुष्यों जैसी बौद्धिकता -डॉ. मनोरंजन प्रसाद सिंह

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WD Feature Desk

, सोमवार, 26 मई 2025 (14:27 IST)
आज जिसे कृत्रिम बौद्धिकता के नाम से रेखांकित किया जा रहा है वह कृत्रिम नहीं बल्कि मनुष्यों जैसी बौद्धिकता है- प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. मनोरंजन प्रसाद सिंह ने इस बात को रेखांकित किया। वे जनवादी लेखक संघ इन्दौर द्वारा आयोजित मासिक रचना पाठ के 138वें क्रम में कृत्रिम बौद्धिकता के समय में मनुष्य पर बात करते हुए बोल रहे थे। यह कार्यक्रम 23 मई 2025 को फेसबुक लाइव के माध्यम से आयोजित किया गया था। 
 
वक्तव्य की शुरुआत उन्होंने कंप्यूटर के विकास की शुरुआत से की। उन्होंने रेखांकित किया कि कृत्रिम बौद्धिकता का नाम जिसे दिया जा रहा है वह तो कंप्यूटर के विकास के बाद शुरू हो गई थी। कंप्यूटर के विकास क्रम के साथ ही उन्होंने मानव मस्तिष्क की समझ, अर्जित ज्ञान और निर्णय लेने के क्षमता को न्यूरॉन्स और सिनैप्टिक नोड्स की संरचना के साथ सरल शब्दों में व्याख्यायित किया। 
 
उन्होंने इसके संभावित ख़तरों की और इशारा किया लेकिन कहा कि इस से किसी वैज्ञानिक या साहित्यकार को बिल्कुल भयभीत नहीं होना चाहिए। कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग करते हुए कोई कितना भी शोध कर लें, साहित्य रच लें वे आइंस्टीन या कबीर नहीं हो सकते क्योंकि उन में वह सृजन क्षमता तो नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता नहीं है, यह तो प्राकृतिक या मनुष्यों जैसी बुद्धिमत्ता है क्योंकि इस के द्वारा कार्य तो मनुष्यों जैसा ही करवाया जा रहा है।
 
वक्तव्य के पश्चात प्रदीप मिश्र ने इसी विषय पर कार्य करने के लिए भौतिकी के इस वर्ष के नोबेल पुरस्कार की चर्चा की और सुरेश उपाध्याय ने इस वक्तव्य को सरल भाषा में समझाने को रेखांकित किया। आशुतोष प्रताप सिंह ने विशिष्ट टिप्पणी में कहा कि मनोरंजन प्रसाद सिंह ने मानव मस्तिष्क और उसकी समझ, अर्जित ज्ञान और निर्णय लेने के क्षमता को सिनैप्टिक नोड्स की संरचना और कार्य के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से सारगर्भित विश्लेषण किया गया। 
 
वक्तव्य ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के आज तक के यात्रा इसके विकास के संभावनाएं और संभावित खतरों से आगाह किया। यह वक्तव्य रचनात्मक और भावनात्मक स्तर पर नैसर्गिक और कृत्रिम बुद्धिमता के बीच के अंतरों को सहज और सरल तरीके से रेखांकित भी करता है, साथ ही साहित्यिक और भाषायी उम्मीद के तरफ़ भी ध्यान आकर्षित करता है।
 
कार्यक्रम में ग़ाज़ियाबाद से अरुण आदित्य, भोपाल से अमिताभ मिश्र और अनिल करमेले, रांची से प्रेम रंजन अनिमेष, पुणे से मानस्विता सिंह, बैंगलोर से नरेंद्र दशोरा, नीमच से प्रियंका कवीश्वर, इन्दौर से रजनी रमण शर्मा और कई अन्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप कांत ने किया और आभार देवेन्द्र ने।
 
प्रदीप कांत 
सचिव, जनवादी लेखक संघ
 

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