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‘माय लाइफ माय ट्रेवल्स’ पर परिचर्चा

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(लेखक संदीप भूतोरिया से कुमार विश्वास की बातचीत)
विश्व पुस्तक मेले में 12 जनवरी को दोपहर 2 बजे वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर संदीप भूतोरिया की पुस्तक ‘माइ लाइफ माइ ट्रेवल्स’ पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा कार्यक्रम में पुस्तक के लेखक संदीप भूतोरिया के साथ प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने बातचीत की।

संदीप भूतोरिया की पुस्तक ‘माइ लाइफ माइ ट्रेवल्स’ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित है। उल्लेखनीय है कि वाणी प्रकाशन ने श्रेष्ठ अंग्रेजी पुस्तकों की शृंखला में इसका प्रकाशन किया है। यह लेखक के यात्रा-संस्मरणों की पुस्तक है जिसमें उन्होंने अपने जीवन के कई रोचक पहलुओं के साथ-साथ दुनिया भर के देशों की यादगार यात्राओं का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है। इस किताब में संदीप भूतोरिया ने केवल देश-दुनिया की भौगोलिक विशेषताओं को ही नहीं, बल्कि वहाँ के दर्शनीय स्थलों की सांस्कृतिक झांकी भी पेश की है और इस तरह से इसे एक दस्तावेज़ बना दिया है।
 
पुस्तक में संकलित छोटी-बड़ी यात्राओं का लेखा-जोखा इतना रुचिकर और पठनीय है कि इसे एक रोचक उपन्यास या प्रेरक जीवनी की तरह भी पढ़ा जा सकता है।
 
‘माइ लाइफ माइ ट्रेवल्स’ पर बातचीत का आरम्भ करते हुए कुमार विश्वास ने लेखक संदीप भूतोरिया को उनकी अंग्रेजी पुस्तक के लिए बधाई दी और बताया कि आज कोई भी लेखक यात्राओं के बारे में कुछ नहीं लिखता। सभी सिर्फ़ फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहते हैं और लेकिन संदीप जी ने अपनी यात्राओं को जिया है और उन्हें शब्द दिया है इसलिए उनका यह प्रयास काबिले तारीफ है। उन्होंने अपने जीवन की यात्राओं के बारे में बताया कि किस तरह वे हमेशा के लिए हमारी स्मृतियों का हिस्सा बन जाती हैं।
 
कुमार विश्वास ने संदीप भूतोरिया से यह जिज्ञासा व्यक्त कि भ्रमण के लिए किसे देश में जाना चाहिए। उन्होंने क्यूबा के पास की एक मनोरम जगह की चर्चा की। लेखक ने यह भी कहा कि भ्रमण के दौरान अक्सर भोजन की समस्या आती है। कुमार विश्वास ने भी अपने अनुभवों से इस बात की पुष्टि की। पुस्तक के बारे में बोलते हुए संदीप भूतोरिया जी ने उपस्थित श्रोताओं से अपने जीवन के संघर्षों को साझा किया और यह बताया कि जीवन की बहुत-सी घटनाएं उन्हें यात्रा के लिए प्रेरित करती रहीं और
 
यात्राओं के दौरान भी कई ऐसी घटनाओं से सामना हुआ जिससे उनके जीवन के अनुभवों में बढ़ोतरी हुई। बातचीत के क्रम में उन्होंने यह भी बताया कि वे बहुत-से देशों में गए जिससे वहां की सभ्यता-संस्कृति को बहुत नजदीक से देखने का मौका मिला। एक बार वे चिली गए थे। वहां की भाषा स्पेनिश है लेकिन वहां भी उन्हें कुछ लोग हिन्दी में बात करते मिले। इसी तरह उनके जीवन में ऐसे कई अवसर रहे जब वे विदेशियों का हिन्दी प्रेम देख कर गदगद हुए। उन्होंने एक और अनुभव का जिक्र किया जिसमें वे एक रेस्तरां में गए और शाकाहारी भोजन की मांग की लेकिन वहां उन्हें मछली परोसी गई और कहा गया कि यही यहां शाकाहारी भोजन है। विदेश प्रवास के दौरान दैनिक जीवन में ऐसी विकट परिस्थितियों में भी जीवन यापन के लिए किए गए उनके संघर्षों संघर्षों ने उपस्थित दर्शकों और श्रोताओं को काफ़ी उत्साहित किया। इस प्रकार ‘माइ लाइफ माइ ट्रेवल्स’ पर परिचर्चा का यह कार्यक्रम सफल रहा और पुस्तक मेला में आकर्षण का केन्द्र बना रहा।
 
वाणी प्रकाशन विश्व पुस्तक मेला 2017 में अपने पाठकों के लिए 75 नई पुस्तकें लेकर उपस्थित हुआ है। विश्व पुस्तक मेले की थीम महिला सशक्तिकरण ‘मानुषी’ से कदमताल करते हुए वाणी प्रकाशन ने अपने स्टॉल का मुख्य भाग स्त्री-विमर्श को समर्पित किया है। वाणी प्रकाशन का लोगो ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा है, जिसे मशहूर कलाकार स्व. मकबूल फिदा हुसैन ने बनाया है।


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