अ-आ, इ-ई, उ-ऊ पढ़कर,
हुए साक्षर चूहेराम।
कागज, कलम, किताबें लेकर,
किया शुरू लिखने का काम।
दिनभर कड़ा परिश्रम करते,
पैसे खूब कमाते।
शाम ढले ही किसी बैंक में,
जाकर जमा कराते।
उन्हें बैंक से एक पास बुक,
और चेक बुक आई।
बड़े जतन से, बहुत सुरक्षित,
बिल में ही रखवाई।
दिवस दूसरे सुबह उठे तो,
देखा खेल निराला।
हाय! चेक बुक और पास बुक
को खुद ने खा डाला।
माथा रहे पीटते दिनभर,
अपना चूहा भाई।
अपनी ही आदत क्यों खुद को,
हो जाती दुखदायी।