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औरत की कोख पर औरत का पूर्ण अधिकार : शिवमूर्ति

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नई दिल्ली: प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के छठे दिन राजकमल प्रकाशन समूह के मंच पर पाठकों को कथाकार, शिवमूर्ति का नया कहानी संग्रह 'कुच्ची का कानून' का अंश पाठ सुनने  को मिला। लेखक ने अपने उपन्यास पर प्रेम भारद्वाज के साथ बेबाक परिचर्चा की। आज के दूसरे कार्यक्रम में राष्ट्रीय चैस चैम्पियन रह चुकी अनुराधा बेनीवाल ने अपनी बहुचर्चित किताब 'आजादी मेरा ब्रांड' पर लोगों के सामने कुछ अंश पढ़े तथा साथ ही लोगों के प्रश्नों के जवाब दिए ।

मौेके पर अनुराधा बेनीवाल ने कहा "हमारे यह धारणा है कि यूरोप घूमना काफी खर्चीला है और यूरोप तो सिर्फ अमीर लोग ही घूम सकते हैं, मगर ऐसा नहीं है और जब लड़की का घूमने का मामला हो तो फिर यह और पेचिदा हो जाता है। मैंने यूरोप के करीब ३६ देशों का भर्मण किया, वो अकेले और लगभग एक लाख में।"
 
'कुच्ची का कानून' के लेखक शिवमूर्ति ने कहा "उनका यह उपन्यास एक औरत के कोख पर आधारित है जो विधवा होती है, मगर उसके गर्भ में पांच महीने का बच्चा होता है। समाज में यह अफवाह कि यह बच्चा किसका है, यही उपन्यास की मूल कहानी है। आगे वे यह भी कहते हैं कि औरत को पूर्ण अधिकार है कि वह अपने गर्भ में किस पुरुष का बीज रखना चाहती है।"
 
हिंदी में ग्रामीण कहानी की इमारत में शिवमूर्ति सबसे मजबूत दीवार हैं। 'कुच्ची का कानून' भी इसकी ताकीद करती है। इसकी शीर्षक कहानी 'कुच्ची का कानून' स्त्री सशक्तिकरण के इस दौर में गांव की एक स्त्री के सशक्त चरित्र के लिए याद किया जाएगा। शिवमूर्ति की कहानियों में नाटकीयता, संवाद बहुत जीवंत होते हैं। संग्रह की कहानियां उसका प्रमाण हैं।
 
जैसे की इस साल पुस्तक मेले की थीम मानुषी है, इसके मद्देनजर राजकमल प्रकाशन हरदिन महिला लेखिकाओं को अपने मंच में ला रहा है। राजकमल प्रकाशन ने अपने स्टॉल पाठकों के लिए एक अनोखी स्कीम भी चलाई है। एक सेल्फी पॉइंट 'हिंदी है हम' पर फोटो लेके फेसबुक पे  #RajkamalBooks पोस्ट करने पर किताबों पर 5% की छूट मिलेगी, जो की पुस्तकप्रेमियों को काफी पसंद आ रहा है और सेल्फी लेने वालों में काफी उत्सुकता बढ़ा रहा है।

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