नोबेल पुरस्कारों की यही बात सबसे ज्यादा आकर्षित करती है कि वह सारे कयासों को धता बता कर उसे मिल जाता है जो नोबेल के हकदार तो हैं पर प्रबलतम दावेदारों में शामिल नहीं रहते। साहित्य का नोबेल फिर इस बार चौंका गया। कहां तो इज़राइल, कोरिया, केन्या, चीन और स्पेन के मशहूर लेखक न्गुगी वा थियोंगो, मुराकामी, अमोस ओज़, खावियर मारियास और यान लियांके जैसे बड़े नाम दौड़ में शामिल थे और कुछ तो लगभग तय थे लेकिन ब्रिटिश उपन्यासकार काजुओ इशिगुरो ने बाजी मार ली।
काजुओ इशिगुरो को 2017 के साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
5 अक्टूबर को स्वीडिश अकादमी ने एक प्रेस रिलीज के माध्यम से यह जानकारी दी। 8 नवंबर 1954 को नागासाकी, जापान में जन्मे इशिगुरो जब महज 5 साल के थे तब उनका परिवार इंग्लैंड आकर बस गया।
पटकथा लेखक इशिगुरो की लघुकथाएं विशेष चाव से पढ़ी और सराही जाती है। उनकी प्रमुख कृतियों में नेवर लेट मी गो, द रिमेंन्स ऑफ द डे, द सेडेस्ट म्यूजिक इन द वर्ल्ड प्रमुख हैं।
उन्हें बूकर प्राइज, ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर जैसे कई बड़े अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।
नोबेल पुरस्कार के रूप में काजुओ इशिगुरो को करीब 11 लाख डॉलर की रकम मिलेगी जो भारतीय मुद्रा में छह करोड़ रुपए से कुछ ज्यादा है।