राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के इतिहास में 22 वां भारत रंग महोत्सव (भारंगम) पहला ऐसा आयोजन रहा, जिसे हमने 22 दिनों की जगह 13 दिनों में पूरा किया है। इसके बावजूद इस महोत्सव का विस्तार हुआ। यह विस्तार, नई रंग दृष्टि और बेहतर प्रबंधन की कोशिशों का नतीजा रहा। इसमें हमें सभी का सहयोग भी मिला। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निदेशक प्रो. (डॉ.) रमेश चंद्र गौड़ ने यह बात कही। महोत्सव के समापन के बाद उनसे वरिष्ठ पत्रकार और लेखक शकील अख़्तर ने चर्चा की। प्रस्तुत है उसी बातचीत के प्रमुख अंश।
महोत्सव की 3 विशेषताएं रहीं : प्रो. गौड़ ने कहा - भारत रंग महोत्सव के आयोजन की इस बार 3 प्रमुख विशेषताएं रहीं। पहला, 22 दिनों की जगह, 13 दिनों में इस महोत्सव के संपन्न होने की वजह से समय और ऊर्जा की बचत हुई। कम दिनों के बावजूद 10 शहरों में महोत्सव हुआ। महोत्सव से पहली बार 6 नये शहर जुड़े। दूसरी ख़ास बात ये रही कि इस बार विभिन्न राज्यों में कोलेब्रेशन के साथ आयोजन किया गया। कोलेब्रेशन की इस वजह से महोत्सव के खर्च में कमी आई। हमें स्थानीय स्तर पर ऑडिटोरियम और अन्य व्यवस्थाओं में, राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन का सहयोग मिला। तीसरा, 9 राज्य सरकारें और 6 सांस्कृतिक एवं शिक्षण संस्थाएं सहभागी के रूप में शामिल हुईं। महोत्सव से दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों के लोग और कलाकर्मी जुड़ सके। पहले से ज़्यादा दर्शकों ने नाटकों को देखा, नया दर्शक वर्ग भी बना।
सफ़र की थकान भी, संतोष भी : केवड़िया से दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के कार्यालय में पहले की तरह कामकाज में जुटे प्रो. गौड़ ने कहा- 13 दिनों के इस व्यस्त महोत्सव के दौरान क्रियान्वयन और समन्वय की दृष्टि से यात्राएं भी होती रहीं। इस वजह से मैं कुछ थकान ज़रूर महसूस कर रहा हूं। परंतु संतोष इस बात का है कि आयोजन सफलता के साथ संपन्न हो सका। इसमें एनएसडी फैकल्टी, स्टाफ़ तथा सोसाइटी अध्यक्ष और इससे जुड़े सदस्यों और ऐकडमिक काउंसिल मेंबर्स का भरपूर सहयोग मिला। जबकि आयोजन को लेकर मीडिया का भी बड़ा सहयोग मिला।
पर्यटन के साथ संभावना की तलाश : प्रो. गौड़ ने नई संभावनाओं के विषय में भी एक विशिष्ट बात भी कही। उन्होंने कहा -हम रंगकर्म को पर्यटन के साथ जोड़कर भी काम करना चाहते हैं। इससे नाट्य कला और टूरिज़्म दोनों को लाभ होगा। संभावनाओं के नये द्वार खुल सकेंगे। केवड़िया में हुये आयोजन के संदर्भ में कहा- केवड़िया जैसे शहर में ऑडिटोरियम तो था, मगर वहां के दर्शकों को अच्छे नाटक देखने को नहीं मिल रहे थे। इस बार वहां के दर्शकों को नये नाटक देखने का अवसर मिल सका। जैसा कि मैंने कहा है, हम केवड़िया में गुजरात सरकार के सहयोग से एक ज्वाइंट रंगमंडल की कल्पना को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
जी-20 सम्मेलन के दौरान आयोजन : प्रो. गौड़ ने बताया, इस बार चूंकि भारत जी-20 देशों का नेतृत्व कर रहा है, इस दृष्टि से यह आयोजन एक बड़ी सांस्कृतिक घटना का कारण भी बन रहा है। आज़ादी के अमृत महोत्सव की तरह राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय इसमें भी अपनी भूमिका निभाने की कोशिश में हैं। जी-20 के शिखर सम्मेलन के दौरान हम विदेशी नाटकों के प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित कर सकें, ऐसी कोशिश है। असल में हमने भारत महोत्सव के लिये कुल 100 नाटकों का चयन किया था। इनमें 20 विदेश नाटक भी रहे हैं। कोरोना महामारी की वजह से विदेशी कलाकार आने में असमर्थ रहे, मगर आगे वे प्रस्तुतियों के लिये आ सकें। हमारी ये कोशिश है।
बेहतर प्रशासन,प्रबंधित विस्तार की कोशिश : प्रो. गौड़ ने कहा, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (रानावि) के कलाकार भी अच्छे हैं और नाट्य-शिक्षण से जुड़े गुरूजन भी। परंतु बीते 25 सालों से यहां पर बेहतर प्रशासनिक व्यस्थापन की कमी रही है। इसमें मेरे अनुभव का लाभ मिल सके, मैं यही विनम्र कोशिश कर रहा हूं। 22वां भारत रंग महोत्सव इसी दृष्टि और कल्पना का आधार रहा है। विश्वास है, हमारी कोशिशों से हमें बेहतर नतीजे मिल सकेंगे।
18 प्रांतों के 16 भाषाओं में नाटक : प्रो. गौड़ ने बताया- इस बार महोत्सव में इंटरफेस एलाइड इवेन्ट्स और मीट दि डायरेक्टर्स जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ कुल 80 नाटकों का प्रदर्शन हुआ। 18 राज्यों के 16 भाषाओं के नाटक मंचित हुए। 9 राज्य सरकारें तथा 6 सांस्कृतिक एवं शिक्षण संस्थाएँ सहभागी के रूप में शामिल हुईं। आज़ादी सेगमेंट को शामिल करें तो ये रंग महोत्सव इस बार 16 शहरों में हुआ। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 10 शहरों के करीब 4 से 5 हज़ार कलाकारों को इसका लाभ मिल सका। 9 राज्य सरकारों के साथ कला-संस्कृति से जुड़ी संस्थाएं महोत्सव का हिस्सा बनीं। इस तरह हम रंग आंदोलन को आगे बढ़ाने की दिशा में, एक कदम और आगे बढ़ सके।
संस्कृति मंत्री श्री मेघवाल ने किया शुभारंभ : आपको बता दें कि भारत रंग महोत्सव का 26 फरवरी को केवड़िया में, औपचारिक समापन हुआ है। समापन दिवस पर पद्मश्री अभिनेता मनोज जोशी अभिनीत नाटक चाणक्य का मंचन किया गया। दिल्ली समेत 10 शहरों में आयोजित हुए इस समारोह का शुभारंभ संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में 14 फरवरी को किया था। इस दौरान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के चेयरमैन परेश रावल भी मौजूद थे।