Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मिल-जुलकर रहने की सीख देती कविता : यह सबको समझातीं नदियां...

Advertiesment
हमें फॉलो करें मिल-जुलकर रहने की सीख देती कविता : यह सबको समझातीं नदियां...
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

बहुत दूर से आतीं नदियां,
बहुत दूर तक जातीं नदियां। 
थक जातीं जब चलते-चलते, 
सागर में खो जातीं नदियां। 


 
गड्ढे, घाटी, पर्वत, जंगल,
सबका साथ निभातीं नदियां। 
मिल-जुलकर रहना आपस में,
यह सबको समझातीं नदियां। 
 
खेत-खेत को पानी देतीं, 
तट की प्यास बुझातीं नदियां। 
फसलों को हर्षा-हर्षाकर, 
हंसती हैं, मुस्कातीं नदियां। 
 
घाट कछारों और पठारों,
सबका मन बहलातीं नदियां। 
सीढ़ी पर हंसकर टकरातीं, 
बलखातीं, इठलातीं नदियां। 
 
गर्मी में जब तपता सूरज, 
बन बादल उड़ जातीं नदियां। 
पानी बरसे जब भी झम-झम, 
रौद्र रूप धर आतीं नदियां। 
 
जब आता है क्रोध कभी तो,
महाकाल बन जातीं नदियां। 
जंगल, पशु, इंसान घरों को,
बहा-बहा ले जातीं नदियां। 
 
सूखे में पर सूख-सूखकर, 
खुद कांटा बन जातीं नदियां। 
पर्यावरण बचाना होगा, 
चीख-चीख चिल्लातीं नदियां। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

फनी बाल गीत : हुए साक्षर चूहेराम