प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
दर्शन के लिये , पूजन के लिये, जगदम्बा के दरबार चलो
मन में श्रद्धा विश्वास लिये , मां का करते जयकार चलो !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
है डगर कठिन देवालय की , माँ पथ मेरा आसान करो
मैं द्वार दिवाले तक पहुँचू ,इतना मुझ पर एहसान करो !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
उँचे पर्वत पर है मंदिर , अनुपम है छटा छबि न्यारी है
नयनो से बरसती है करुणा , कहता हर एक पुजारि है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
मां ज्योति तुम्हारे कलशों की , जीवन में जगाती उजियाला
हरयारी हरे जवारों की , करती शीतल दुख की ज्वाला !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
जगजननि माँ शेरावाली ! महिमा अनमोल तुम्हारी है
जिस पर करती तुम कृपा वही , जग में सुख का अधिकारी है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!
तुम सबको देती हो खुशियाँ , सब भक्त यही बतलाते हैं
जो निर्मल मन से जाते हैं वे झोली भर वापस आते है !! जय जगदम्बे , जयजगदम्बे !!