Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मार्मिक कविता : असहाय, बेबस ललनाएं

Advertiesment
हमें फॉलो करें मार्मिक कविता : असहाय, बेबस ललनाएं
webdunia

डॉ. रामकृष्ण सिंगी

कन्या पूजन के इस देश में कितनी ललनाएं रुआंसी। 
कितने हो रहे मुजफ्फरपुर/देवरिया, किस किस को दोगे फांसी ।।1।। 
 
कितने संत/महंत दोगले, कभी शंका न हुई जिनकी नीयत पर। 
बनकर ग्रहण लगे जघन्य से, कितनी चन्द्र-धवल अस्मत पर ।।2।। 
 
कितने छद्म समाजसेवी, अफसर, नेता, मिलजुलकर षड़यंत्रकारी । 
असहाय, बेबस, अबोध ललनाएं अनगिन, हवस का जिनकी ग्रास बनी बेचारी ।। 3।। 
 
जलेंगी सहानुभूति की मोमबत्तियां अब, कुछ समय तो टिमटिमाएंगी। 
पर प्रभावशालियों के हथकण्डों के झोंको से, कुछ समय बाद बुझ जाएंगी ।।4।।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मौत के दरवाजे पर ले जाती है महिलाओं को, यह 5 खतरनाक बीमारियां