Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कविता: मैं ठोकरें बहुत खाता हूं...

हमें फॉलो करें कविता: मैं ठोकरें बहुत खाता हूं...

सलिल सरोज

मैं ठोकरें बहुत खाता हूं,
तुम साथ चल सको तो चलो।
 
मैं झूठ कम बोलता हूं,
सच से बहल सको तो चलो।
 
जमाना रोज ही बदलता है,
तुम गर ठहर सको तो चलो।
 
दिल मेरा शौकिया रूठता है,
तुम इसे मना सको तो चलो।
 
तबीयत यूं भी मचलती है,
तुम मुझे संभाल सको तो चलो।
 
जिस्म शर्मीले जेवर पहनता है,
तुम सबको उतार सको तो चलो।
 
सरे-बाजार अक्सर शायर बिकता है,
नज्में जो खरीद सको तो चलो।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

2018 में कैसा रहेगा आपका स्वास्थ्य (जानें राशिनुसार)