देखा है हमने स्वच्छता /टॉयलेट मुहीम को आंदोलन बनते।
लोगों के असमंजसी सोच के बीच भी, आत्मविश्वासी लघु आगाज़ से।।1।।
चेतना की सुगबुगाहट उभर रही अब धीरे धीरे ,
उनींदे, दकियानूसी, धर्मांध फिरकों में भी उनकी समझाइशभरी आवाज़ से।।2।।
किसने गाँधी के बाद परखी नब्ज़/धड़कन देश की,
जमीन से जुड़ा ही कोई हो सकता है वाकिफ जन-मन के मिज़ाज से।।3।।
अंतरराष्ट्रीय नक्क़ारख़ाने में भी आतंकवाद के खिलाफ,
प्रभावी माहौल बना मोदी की तूती के विशिष्ट अंदाज़ से।।4।।
शंका है कि जन-समर्थन की कोई आकर्षक राग निकाल पायें,
वंशवादी, दिशाहीन विपक्षीदल अपने क्षत-विक्षत साज़ से।।5।।
कब तक भिड़ पाएंगे सिरफिरे फिदायी आतंकवादी भी ,
भारत मां के सपूत, जोशीले प्रहरी,सैन्य-वीर जाँबाज़ से।।6।।
कामना है कि यह दीपावली ज्योतित करे समग्र राष्ट्रजीवन ,
सबका हित समेटे सुशासित, सुनियोजित, सुराज से।।7।।