मन अंदर है गहन अंधेरा,
चारों ओर दुखों का घेरा।
जीवन की पथरीली राहें,
तेरे चरण हैं मृदुल सवेरा।
हे शैलपुत्री त्वं चरणं मम्,
हे हिमपुत्री त्वं शरणं मम्।
जन्म-जन्म की यात्रा पर हूं,
अधम कोटि का मैं पामर हूं।
काम, क्रोध, मद, लोभ ने घेरा,
मानव रूप धरे विषधर हूं।
ब्रह्मचारिणी त्वं शरणं मम्,
रूपधारणी त्वं चरणं मम्।
मानव विकृति के पथ पर है,
चढ़ा हुआ अहम रथ पर है।
अंधाधुंध वह दौड़ रहा है,
दिशाहीन दुर्गम पथ पर है।
हे चंद्रघंटे त्वं चरणं मम्,
हे मृदुकांता त्वं शरणं मम्।
कन्या भ्रूण को लोग मारते,
फिर तेरी आरती उतारते।
नवरात्रि में पूजन करके,
तुझको वर देने पुकारते।
हे कूष्मांडे त्वं चरणं मम्
हे ब्रह्मांडे त्वं शरणं मम्
शिक्षा अब व्यापार बनी है,
उच्छृंखल व्यवहार बनी है।
बच्चे सब मशीन हैं जैसे,
धनकुबेर की शिकार बनी है।
स्कंदमाते त्वं चरणं मम्,
जीवनदाते त्वं शरणं मम्।
एक भी बचा नहीं है जंगल,
नेताओं का हो रहा मंगल।
पर्यावरण प्रदूषित सारा,
सारे देश में मचा है दंगल।
हे कात्यायनी त्वं चरणं मम्,
हे हंसवाहनी त्वं शरणं मम्।
कष्ट कंटकों से घिरा है मानव,
धन, सत्ता, बल बने हैं दानव।
सरकारें सब सो रही हैं,
टैक्स लग रहे सब नित अभिनव।
हे कालरात्रि त्वं चरणं मम्,
हे महारात्रि त्वं शरणं मम्।
अपने सब हो गए बेगाने,
आभासी चेहरे दीवाने।
आस-पड़ोस सब सूने हो गए,
सब रिश्ते रूखे अनजाने।
महागौरी त्वं चरणं मम्,
सिंहवाहनी त्वं शरणं मम्।
विपदा विकट पड़ी है माता,
सुत संकट में तुझे बुलाता।
कोई नहीं है इस दुनिया में,
तेरे सम सुख शरणं दाता।
हे सिद्धिदात्री त्वं चरणं मम्,
हे सर्वशक्ति त्वं शरणं मम्।