पत्रकार, लेखिका व शायरा फ़िरदौस ख़ान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर एक गज़ल लिखी है। इस ग़ज़ल में राहुल गांधी के वजूद का अक्स झलकता है। ये ग़ज़ल उन्होंने राहुल गांधी को समर्पित की है। कांग्रेस अध्यक्ष और उनके चाहने वालों को ये ग़ज़ल ज़रूर पसंद आएगी।
भारत की मुहब्बत ही इस दिल का उजाला है,
आंखों में मेरी बसता एक ख़्वाब निराला है।
बेटा हूं मैं भारत का, इटली का नवासा हूं,
रिश्तों को वफ़ाओं ने हर रूप में पाला है।
राहों में सियासत की, ज़ंजीर है, कांटें हैं,
सु:ख-दुख में सदा मुझको जनता ने संभाला है।
धड़कन में बसा मेरी, इस देश की गरिमा का,
मस्जिद कहीं, गिरजा कहीं, गुरुद्वारा, शिवाला है।
बचपन से ले के अब तक, ख़तरे में जां है लेकिन,
दुरवेशों की शफ़क़त का, इस सर पे दुशाला है।
नफ़रत, जलन, अदावत, दिल में नहीं है मेरे,
अख़लाक़ के सांचे में, अल्लाह ने ढाला है।
पतझड़ में, बहारों में, फ़िरदौस नज़ारों में,
हर दौर में देखोगे, राहुल ही ज़ियाला है।
शब्दार्थ : दुरवेश- संत, अदावत- शत्रुता, अख़लाक़- संस्कार, फ़िरदौस- स्वर्ग, ज़ियाला- उजाला।