बात इतनी सी है ये समझ लीजिए,
हम सभी एक शक्ति की संतान हैं।
धर्म-जाति से उठकर जरा देखिए,
सबसे पहले सभी एक इंसान हैं।
राम में प्यार है, प्यार में हैं खुदा,
प्यार अमृत के जैसा है पी लीजिए।
प्यार की भेंट में जख्म जितने मिले,
मुस्कुराते हुए उनको सी लीजिए।
सारे त्योहार मिलकर मनाएं सभी,
भाईचारा हमारी तो पहचान है।
बात इतनी सी है ये समझ लीजिए,
हम सभी एक शक्ति की संतान हैं।
कोई झगड़ा नहीं, न किसी से गिला,
सिर्फ खुशबू से महके हमारा शहर।
सब मिले जोड़कर प्राण से प्राण को,
शाम हो रात हो या वो हो दोपहर।
गांठ दिल में जो है आइए खोलिए,
कीमती हम सभी की ये मुस्कान है।
बात इतनी सी है ये समझ लीजिए,
हम सभी एक शक्ति की संतान हैं।
कौन है जिसको फूलों की चाहत न हो,
बोलिए किसको मधुमास भाता नहीं।
दिल किसी का भी हो भेद इसमें नहीं,
कौन है जिसको चंदन रिझाता नहीं।
ख्वाब में भी किसी को रुलाया नहीं,
उससे बढ़कर नहीं कोई बलवान है।
बात इतनी सी है ये समझ लीजिए,
हम सभी एक शक्ति की संतान हैं।