प्रकृति के गालों पर ये टेसुई (पलाशी ) गुलालों वाले दिन।
राधा / माधव के मनों में अरमानों की उछालों वाले दिन ।।
हर डाली को , लताओं को , पुष्पों को झकझोरती
ये फागुनी हवा की शोखी भरी अल्हड़ चालों वाले दिन ।। 1 ।।
हर धड़कन में बजती मादक मृदंगों वाले दिन।
हर युवा मन में उभरती अनोखी उमंगों वाले दिन ।।
तितलियों के परों पर सजते हजार रंगों वाले दिन।
आकाश में क्रीड़ा करते सतरंगी विहंगों वाले दिन ।। 2 ।।
पवन की सरसराहट में सुनाई पड़ते मधुरिम साज वाले दिन।
मौसमों की करवटों के अनूठे अन्दाज वाले दिन ।।
हर दिशा में उभरते नशीले मौसमी रागो -रंगों से ,
वसन्तोत्सव की मदभरी आहटों ,आगाज़ वाले दिन ।। 3 ।।