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हिन्दी कविता : सृष्टि
बिग बैंग विस्फोट संग,
जन्मी सृष्टि महान।
इसके पहले कौन था,
नहीं किसी को ज्ञान।
पहले दिन सूरज बना,
दूजे दिन आकाश।
तीजे दिन पानी बना,
चौथे पृथ्वी वास।
पंचम दिन पक्षी बने,
छठवें दिन इंसान।
सप्तम दिन विश्राम का,
यही है सृष्टि ज्ञान।
नाद से युक्त महत है,
महत बना आकाश।
गगन से वायु बन गई,
इस क्रम हुआ विकास।
मारुत से उपजी अनल,
अनल से जन्मा नीर।
जल से उपजी है धरा,
फिर जीवन फिर क्षीर।
चेतन आत्मा द्रव्य है,
विभु व्यापक आधार।
अमित सृष्टि का अंग है,
नित्य आत्मविचार।
सब जड़ चेतन आत्म है,
कर इन्द्रिय संयोग।
कायनात को ये रचे,
परमात्मा का योग।
'अणिका' का अनुभव करो,
नश्वरता का ज्ञान।
व्यक्ति मोह से मुक्त हो,
बुद्ध प्रकृति संज्ञान।
ब्रह्म और ब्रह्मांड हैं,
सृष्टि के आधार।
समय काल से हैं परे,
आत्मा, ब्रह्म, विचार।
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