Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता : गीतिका

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : गीतिका
webdunia

डॉ मधु त्रिवेदी

थाह दिल की जो नापता होगा,
रोज गोता वो मारता होगा।
 
देख मौका छुपे चला आता,
प्रीत का बीज रोपता होगा।
 
आज दिलदार जो बना मेरा,
खूब मुझको वो चाहता होगा।
 
बात सारी जो मान ले मेरी,
मोह धागे में बांधता होगा।
 
रूठ जाए कभी कहूं जब कुछ,
वो बना डोर जोड़ता होगा।
 
खास किस्से हमें सुनाकर वो,
जाल में प्रीत के फांसता होगा।
 
कैद करके अदा छुपाई है,
याद कर उनपे नाचता होगा।
 
जब ढले शाम जिंदगी की तो,
भाव मेरे वो तौलता होगा।
 
हार जब जिंदगी मुझे दे तब,
पास आकर वो झेलता होगा।
 
ख्याल उसका न रख सकूं मैं,
दिल तभी फिर कचोटता होगा।
 
आपबीती कभी सुनाए जब,
तब कलेजा ही डूबता होगा।
 
हौंस इतनी रखे सदा वो जब,
क्या कहीं और देखता होगा।
 
हो गया क्यों फिदा न जानूं मैं,
आलिंगन पाश बांधता होगा।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राशि परिवर्तन 2017 : सूर्य मेष में, जानिए 12 राशियों पर कैसा रहेगा असर...