Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

चांद पर कविताएं : आओ चांद से बातें करें

हमें फॉलो करें चांद पर कविताएं : आओ चांद से बातें करें
webdunia

स्मृति आदित्य

एक मधुर कविता 
पूरे मन से बने 
हमारे अधूरे रिश्ते के नाम लिख रही हूं 

चांद के चमकीले उजास में 
सर्दीली रात में 
तुम्हारे साथ मैं नहीं हूं लेकिन 

रेशमी स्मृतियों की झालर 
पलकों के किनारे पर झूल रही है 
और आकुल आग्रह लिए 
तुम्हारी एक कोमल याद 
मेरे दिल में चूभ रही है.. 

चांद का सौन्दर्य 
मेरी कत्थई आंखों में सिमट आया है 
और तुम्हारा प्यार 
मन का सितार बन कर झनझनाया है 
चांद के साथ मेरे कमरे में उतर आया है...

webdunia

* कल पिघल‍ती चांदनी में 
देखकर अकेली मुझको 
तुम्हारा प्यार
चलकर मेरे पास आया था 
चांद बहुत खिल गया था। 
webdunia

आज बिखरती चांदनी में 
रूलाकर अकेली मुझको 
तुम्हारी बेवफाई 
चलकर मेरे पास आई है 
चांद पर बेबसी छाई है। 
 
कल मचलती चांदनी में 
जगाकर अकेली मुझको 
तुम्हारी याद 
चलकर मेरे पास आएगी 
चांद पर मेरी उदासी छा जाएगी।

* शरद की 
बादामी रात में 
नितांत अकेली 
मैं 
चांद देखा करती हूं 
तुम्हारी 
जरूरत कहां रह जाती है, 

webdunia
चांद जो होता है 
मेरे पास 
'तुम-सा' 
पर मेरे साथ 
मुझे देखता 
मुझे सुनता 
मेरा चांद
तुम्हारी 
जरूरत कहां रह जाती है। 
 
ढूंढा करती हूं मैं 
सितारों को 
लेकिन 
मद्धिम रूप में उनकी 
बिसात कहां रह जाती है, 
 
कुछ-कुछ वैसे ही 
जैसे 
चांद हो जब 
साथ मेरे 
तो तुम्हारी 
जरूरत कहां रह जाती है।

*शरद की श्वेत शहद रात्रि में 
प्रश्नाकुल मन 
बहुत उदास 
कहता है मुझसे 
उठो ना 
चांद से बाते करों, 
चांद पर बातें करो.... 
और मैं बहने लगती हूं 
नीले आकाश की 
केसरिया चांदनी में, 
webdunia
तब तुम बहुत याद आते हो 
अपनी मीठी आंखों से 
शरद-गीत गाते हो...!

* शहदीया रातों में 
दूध धुली चांदनी 
फैलती है 
तब 
अक्सर पुकारता है 
मेरा मन 
कि आओ, 
पास बैठों 
चांद पर कुछ बात करें। 
webdunia
शरद चांदनी की छांव तले 
आओ कुछ देर साथ चलें।

 
*चांद नहीं कहता 
तब भी मैं याद करती तुम्हें 
चांद नहीं सोता 
तब भी मैं जागती तुम्हारे लिए 
चांद नहीं बरसाता अमृत 
तब भी मुझे तो पीना था विष 
चांद नहीं रोकता मुझे 
सपनों की आकाशगंगा में विचरने से 
फिर भी मैं फिरती पागलों की तरह 
तुम्हारे ख्वाबों की रूपहली राह पर। 
webdunia
चांद ने कभी नहीं कहा 
मुझे कुछ करने से 
मगर फिर भी 
रहा हमेशा साथ 
मेरे पास
बनकर विश्वास। 
यह जानते हुए भी कि 
मैं उसके सहारे 
और उसके साथ भी
उसके पास भी 
और उसमें खोकर भी 
याद करती हूं तुम्हें। 
मैं और चांद दोनों जानते हैं कि 
चांद बेवफा नहीं होता।
webdunia


 
 

*तुम, एक कच्ची रेशम डोर 
तुम, एक झूमता सावन मोर 

webdunia
तुम, एक घटा ज्यों गर्मी में गदराई, 
तुम, चांदनी रात, मेरे आंगन उतर आई 
 
तुम, आकाश का गोरा-गोरा चांद
तुम, नदी का ठंडा-ठंडा बांध 
 
तुम, धरा की गहरी-गहरी बांहें 
तुम, आम की मंजरी बिखरी राहें 
 
तुम, पहाड़ से उतरा नीला-सफेद झरना 
तुम, चांद-डोरी से बंधा मेरे सपनों का पलना 
 
तुम, जैसे नौतपा पर बरसी नादान बदली 
तुम, जैसे सोलह साल की प्रीत हो पहली-पहली
 
तुम, तपते-तपते खेत में झरती-झरती बूंदें, 
तुम, लंबी-लंबी जुल्फों में रंगीन-रंगीन फुंदे, 
 
तुम, सौंधी-सौंधी-सी मिट्टी में शीतल जल की धारा 
तुम, बुझे-बुझे-से द्वार पर खिल उठता उजियारा।
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Kartik maas : कार्तिक मास में क्या करें, क्या न करें