शांत गीत, शांत संगीत,
शांत हुई कोकिल स्वर।
नाद ब्रह्म में लीन हुई,
लता दीदी रहेगी अमर।।
भारतीय गीतों की आत्मा,
वाणी में सदा रही शारदा।
संगीत महायुग अंत हुआ,
देश फूट-फूटकर रो रहा ।।
1929 इंदौर शहर में जन्मी,
छोटी उम्र में पिता को खोया।
भाई-बहनों में सबसे बड़ी,
सबके सपनों को पूर्ण किया।।
साधिका संघर्षो में डटी रही,
गायन, अभिनय में तप किया।
सुव्यवहार, विनम्रता रखती,
अद्वितीय प्रतिभा परिचय दिया।।
एक से बढ़कर एक गाने गाए,
पीढ़िया सदियों तक गाएंगी।
नाम बदलेगे, चेहरे बदलेगे,
पर आवाज़ ना भुलाई जाएगी।।
20भाषा, 30हजार गीत गाए,
कई पुरस्कार, भारतरत्न पाया।
गायकी विश्वकीर्तिमान रचाए,
विशिष्टता से दशकों राज किया।।
गुणों का जितना बखान करूँ,
कलमस्याही कम पड़ जाएगी।
स्वर साम्राज्ञी हेतु जो भी कहूँ,
शब्दसंग्रह में कमी आ जाएगी।।
यह पहला कैसा बसंत आया,
पतझड़ की अनुभूति करा रहा।
संस्कारों की धनी, "राष्ट्र दीदी"
देश विनम्र श्रद्धांजलि दे रहा।।
©®सपना सी.पी.साहू "स्वप्निल"
इंदौर (म.प्र.)