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वसंत ऋतु पर कविता: नव अनुबंध

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हमें फॉलो करें वसंत ऋतु पर कविता: नव अनुबंध
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सुशील कुमार शर्मा

, सोमवार, 10 मार्च 2025 (15:17 IST)
नवगीत
 
नव पृष्ठों पर लिखे जा रहे
जीवन के नव अनुबंध
 
गदराया वासंती टेसू
सेमल पर है
चढ़ी जवानी
नेह प्रेम उल्लास भरी है
मन वसंत की
नई कहानी
वृक्षों ने पीले पातों की
करी विदाई
भारी मन से
नई आस में डाली हिलती
नव कोंपल मुस्काई
तन से।
 
आया है ऋतुराज वसंती
फैली प्रेम सुगंध।
 
नव पल्लव शिशु
खोल रहे दृग
प्रमुदित गेहूं की
बाली है
टेसू सेमल हैं मकरंदी
अमराई गंध निराली है।
होली के रंगों में
जुड़ते
संबंधों के टूटे धागे
हुआ वसंती मौसम प्यारा
पीड़ा पीछे
हम थे आगे।
 
कष्ट दुःख सब पीछे छोड़े
सुख का किया प्रबंध।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

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