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लफ्ज़ों की नरमी पे मत जाना कभी : नई ग़ज़ल

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रीमा दीवान चड्ढा

ज़िंदा तो इंसानी खाल में है आदमी
भीतर पर अलग हाल में है आदमी
 
अपने आप से बहुत अलग है वो
जाने किसकी खाल में है आदमी
 
तहज़ीब का ढोंग सलीके से करे
चतुर अपनी चाल में है आदमी
 
लफ्ज़ों की नरमी पे मत जाना कभी
खूँखार बड़ा इस हाल में है आदमी
 
दिल से बहुत बड़ा कर लिया दिमाग 
 मायावी चाल ढाल में है आदमी

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