Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हिन्दी कविता : भ्रष्टाचार

Advertiesment
हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : भ्रष्टाचार
webdunia

राकेशधर द्विवेदी

सत्ता का हमराज है
वह तो भ्रष्टाचार है



 
भीड़तंत्र के पन्नों में
उसका ही गुणगान है।
 
सांसद हो या विधायक
उसमें ही निर्लिप्त है
नित दिन उसका डंका बजता
उसका राग विशिष्ट है। 
 
अपरिमित, अमिट प्रताप की
उसकी अजब कहानी है
अधिकारी हो या कर्मचारी
सब उसके आजारी हैं।
 
समाजवादी हो या गांधीवादी
सब देते उसे सलामी है
दुनिया के हर कोने में
वह निडर, निर्भीक स्वाभिमानी है
 
भ्रष्टाचार के यह सब रंग देख
बोले सब ऋषि ज्ञानी
जय हो तुम्हारी देव सदा
तुम तो हो हम पर भी भारी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मानसून पर कविता : बदलियां छाने लगी हैं