Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

हिन्दी कविता : पहाड़ के नाम

हमें फॉलो करें हिन्दी कविता : पहाड़ के नाम
webdunia

सुबोध श्रीवास्तव

तुमने
प्रकृति का वरदहस्त पाकर
पाया अपना अस्तित्व
पहाड़ के रूप में
और/ प्रस्तुत किया खुद को
अपने स्वभाव की तरह।
 
लेकिन क्या मालूम है
तुम्हें कि
विशाल काया के अलावा
कुछ भी न हो सका
तुम्हारा,
न किसी का अपनापन
न जीवन का एहसास
और न ही
अपने बने रहने की
जरूरत ही
किसी को समझा पाए। 
 
तुम,
क्योंकि
पाषाण होने के कारण
तुम में/ आदम जाति की मानिंद
विकसित नहीं हो सका
हृदय सागर
जो दूर कर पाता
तुम में समाया
सिर्फ अपना ही अस्तित्व
सर्वशक्तिमान होने का
अहंभाव।
 
शायद यही वजह है कि
अपने आसपास
समूची दुनिया बसने के बावजूद
नहीं महसूस कर सके
तुम/ कभी भी
पंछियों की चहचहाहट
और
सूर्य के शैशवकाल से
प्रौढ़ होने तक के अंतराल में
समाहित/ जीवन के
अलौकिक परम आनंद
और/ शाश्वत सत्य का आत्मबोध|
 
यह सब
किसी विडंबना का
परिचायक नहीं है
बल्कि/ यह खुद तुम्हारे ही
स्थापित किए
आदर्शों और उसूलों का प्रतिफल है
जो, अब
तुम्हारी नियति बन चुके हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मौत का महीना और सरकारी मलहम