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कविता : प्रेम शब्द बड़ा मीठा-मीठा

हमें फॉलो करें कविता : प्रेम शब्द बड़ा मीठा-मीठा
Poem in Hindi

- पुरुषोत्तम व्यास
 
ग्रीष्म के दिनों में आम
जाड़े के दिनों में जाम
 
बाग में खिले कुसुम
मंद-मंद बहती समीर
 
प्रेम शब्द बड़ा मीठा-मीठा
 
हल्के-हल्के शब्द भाव से
ह्रदय में भरा-भरा उजास
 
धीमे-धीमे जलता हुआ दीप
चम-चमाता चंद्रमा अति करीब
 
प्रेम शब्द बड़ा मीठा-मीठा
 
पूछना नहीं अब किससे कुछ
मूंद नयनों को रहता अपने संग...
 
न चाह अब किससे कुछ
ईश्वर का मिला अनुपम प्रेम
 
प्रेम शब्द बड़ा मीठा-मीठा। 

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
 

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